SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ग्रंथांक: प्रत नाम (पेटा नंबर).पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झ.पत्र) कति प्रकार सिद्धसेनसूरि प्रा. गा.६६ (पे.३३) एकविंशतिस्थानप्रकरण (पे.३४) गौतमपृच्छा प्रकरण चवण विमाणा नयरी जणया पद्य नमिऊण तित्थनाहं जाण पद्य प्रा. गा.५३ अपभ्र. :गा.१४ :पद्य (पे.३५अरिहन्तविनती. (पे.३६) सीमन्धरजिनस्तुति देव पुच्छिउ दुत्थ केवलनाणसहाणं... अपभ्रं. पद्य संक्षेप छ.] (पे.पृ. १७४०-१८१) पे.वि. : गाथा-६८. (पे.पू. १८%A-१८६०) पे.वि. गाथा-4४.कृ.वि.: गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे.] (पे.पू. १८६९-१८९६. (पे.पृ. १८९४-१९१४१) पं.वि. : पत्र का पार्श्वभाग, पत्रांकवाला हिस्सा एवं पाठ का अनुसंधान भाग खंडित होने से पत्रांक संदिग्ध है. (पे.पृ. १९१(2)) पे.वि. : पत्र का पार्श्वभाग, पत्रांकवाला हिस्सा एवं पाठ का अनुसंधान भाग खंडित होने से पाठ कहाँ से प्रारंभ होता है वह अस्पष्ट है.. । (जुनो नं. १८८०-८१/७२)सूचीपत्र नं.१-१८२, १-१८५, ११९०, १-१९७. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., (.४-9x) (पे.३७) मिच्छत्तकुलय औपपातिकसूत्र व वृत्ति आदि श्रेष्ठ ७३/८२(१७९) २२६-१०(२२१,२२३ थी २२४.७१ थी ७२.२११ थी २१५)=२१६ नमो अरिहन्ताणं नमो (ये.१) राजप्रश्नीयोपागसूत्र ग्रं.२०७१ गं 31000 (पे.२) राजप्रश्नीयोपागसूत्र-वृत्ति: मलयगिरिसरि (पे.३) औपपातिकोपाङगसूत्र...... (पे.४) औपपातिकोपाङ्गसूत्र- अभयदेवसूरि (पे.पृ. १-५०) पे.वि. - सूचीपत्रांक-१-१९०. [कृ.वि. : अष्टभाषामय पंचपाठ (पे.पू. ५१-१२८) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१९७. (पे.पू. १२९४-१५३/ पे.वि... सूचीपत्रांक-१-१८२.. (पे.पृ. १५४-२२६) पे.वि. : सूचीपत्रांक-१-१८५. प्रणमत वीरजिनेश्वर तेणं कालेणं तेणं श्रीवर्द्धमानमानम्य प्र.११६७ ग्रं.४३०० टीका ७४ पिण्डनियुक्ति सह शिष्यहिता वृत्ति श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र २२६ ७३/८२(१३७) (जुनो नं. १८८०-८१/४६)सूचीपत्र नं.१-१११५. /विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., (२९४२,४४) लेखन स्थल : अणहिल्लपाटकपुर गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. हरिभद्रसूरि प्रारब्धा. (जुनो नं. १८८०-८१/४७)सूचीपत्र नं.१-४१६., (१८४२.. प्रा. गा.६९७ ........ :पिण्डे उगम उप्पायण पिण्डनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी पिण्डनियुक्ति-शिष्यहिता टीका.... पिण्डविशुद्धि सुबोधा सहित :श्रेष्ठ परा ग्र.9619 गद्य नम्रामरेश्वरकिरीट :१४२ संपूर्ण ताडपत्र वि.१३०० ७३/८२(५४) ६-७X६५-Gol पद्य गाथा १०५ सुधी मळे छे. पिण्डविशुद्धिप्रकरण जिनवल्लभ पिण्डविशुद्धिप्रकरण-सुबोधा टीका यशोदेवसूरि गा. १०४ ग्रं.२८००वि . ११७६ देविन्दविन्दवन्दियपय यदुदितलवयोगाद्देहिनःगद्य
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy