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________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) कृति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता सोमसुन्दरसूरि का.२५ ॐकारः सकलत्रिलोक पद्य (प.पृ. १-२) नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनपञ्चक षड़भाषामय स्तवनपञ्चक (पे.२) ऋषभजिनकुन्तलपञ्चविंशतिकास्तवन षड्भाषामयऋषभस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ षड़भाषामयऋषभस्तोत्र षड़भाषामयऋषभस्तोत्र-अवचूरि ८२२९ । उपखाणागर्भित जिनस्तोत्र श्रेष्ठ संपूर्ण कागज वि.१७मी (२) (१०.२४४.५) सं.,प्रा.,अपभ्रं. का. ४० श्रेष्ठ संपर्ण कागज वि.१७मी १ (१०x४.२) गा.३५ संपूर्ण कागज वि. १७मी :(१०.२४४.५) श्लोक २८ संपूर्ण कागज : वि.१४८६ :(१०.२४४.५) विश्वास ८२३० : पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध जीर्ण सावचूरि पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्ध पुष्पदन्तजिनस्तवन एकविंशतिचित्रबद्धअवचूरि विविधचित्रबद्धवीरजिनस्तवन सावचूरि श्रेष्ठ पञ्चपाठ वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रवद्ध : कुलमण्डनसरि वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध-अवचूरि: ८२३२ क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन : मध्यम सावचूरि पञ्चपाठ :क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन-अवचूरि पार्श्वनाथसमस्यास्तवावचूरि श्रेष्ठ पार्श्वनाथसमस्यास्तव-अवचूरि यमकालङ्कारमय जिनस्तव सावरि मध्यम यमकालङ्कारमय जिनस्तव । देवसुन्दरसूरि शिष्य यमकालडकारमय जिनस्तव-अवचूरि साधुरलसूरि संपूर्ण कागज वि.१७मी (१०.५४४.५) श्लोक 3६ ............. वि. १६८३ .. (९.७४४.५) ........... वि. १८मी.....३. 407
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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