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________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष : पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार गद्य आदिवाक्य आवश्यकसूत्र-चूर्णी प्रा. ग्रं. १८००० काऊण नमोक्कारं नियुक्ति ऊपर पण. जिनदास गणि क्षमाश्रमण जीर्ण तिथयर.. ६५८० भवभावनाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसहित संपूर्ण कागज वि.१५मी १८८ : (१९०) ग्रन्थान-१२९९०. १६६०मां जिनचन्द्रसूरिए सांधीने उद्धारेली प्रति... (१२४४.७) भवभावनाप्रकरण हेमचन्द्रसूरि मलधारी प्रा. गा.५३१ : वि.११७० पद्य नमिऊण नमिरसुरवरमणिमउ येनादौ नयसम्पदः । भवभावनाप्रकरण-वृत्ति उपदेशपदप्रकरण वृत्तिसहित..... उपदेशपदप्रकरण ६५८१ हेमचन्द्रसूरि मलधारी.. सं. जीर्ण हरिभद्रसूरि ग्रं. १३000वि .११७० वि. १५मी १९७ गद्य A(१६६) : पद्य (१२४४.७) :गा.१०४o नमिऊण महाभाग तिलोय मुनिचन्द्रसूरि श्लोक ११७४ पद्य उभय ग्रन्थान-१४००० पत्र २०, अने ४५ डबल छे...(१२४४.७)... :मध्यम :वि.१५मी :५२ प्रणम्य परमात्मानं हरिभद्रसूरि मुनिचन्द्रसुरि ग्रं. 3000 :शुद्धन्यायवशायत्तीभ गद्य उपदेशपदप्रकरण-टीका :६५८४धविन्दप्रकरण सटीक धर्मबिन्दुप्रकरण धर्मबिन्दुप्रकरण-वृत्ति ६५८७ पञ्चलिडिगप्रकरणवृत्ति आदि (पे.१) पञ्चलिङ्गीप्रकरण-वृत्ति (पे.२) पञ्चलिङ्गीप्रकरण-टिप्पण श्रावकधर्मविधिप्रकरण वृत्तिसहित श्रावकधर्मप्रकरण :श्रेष्ठ (११९). पद्य जिनपतिसूरि :जिनपाल श्रेष्ठ जिनेश्वरसूरि .(१२४४.७) (प.पू. १-१२०). (प.पू.१-१२०० (१२४४.७) रचना स्थल प्रहलादनपुर कागज .......वि. १५मी..... १२० श्लोक ६६०० ग्रं. २०३ ............ वि. १५मी. का.२४५ ग्रं. वि. १३१३ :भेजुर्यस રા, गं. १५339 कागज वि.१५मी पत्तभवन्नवतीरं दुहदव (२४०..... पद्य गद्य मध्यम :(१२४४.७) पद्य श्लोक 3८०० :नत्वा श्रीवमाना पद्य विमलगणिकृत टीकाना आधारे. श्रावकधर्मविधिप्रकरण-वृत्ति लक्ष्मीतिलक दर्शनशुद्धिप्रकरण सटीक दर्शनशुद्धिप्रकरण चन्द्रप्रभसूरि दर्शनशुद्धिप्रकरण-टीका देवभद्रसूरि घडशीतिककर्मग्रन्थ प्राचीन सटीक .. मध्यम आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन : जिनवल्लभ चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन हरिभद्रसूरि चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड़शीति-वृत्ति वि.१५मी (१७) (१२४४.७ गा.८६ निच्छिन्नमोहपासं पद्य गाथा १०४ सुधी मळे छे. वि.११७२ नत्वा जिनं विधास गद्य 362
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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