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________________ स्थिति ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम पूर्णता (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडीभाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार यन्नाभीनासिकाभूदृग बालचन्द्रसूरि जीर्ण सं. संपूर्ण ग्रं.७६०० ताडपत्र :३०० ७२/८१(१४०) उपदेशकन्दली-वृत्ति नन्दीसूत्र सटीक + अनुयोगद्वारना थोडा पाना (4.9) नन्दीसूत्र विस्तृत रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. १८८१-८२/१)सूचीपत्र-नं.१-६४१., (३०.५४२, ५x) (पे.पृ.?) पे.वि. : पानाओ अस्त-व्यस्त छे. [कृ.वि. : आनुं अने आवश्यकनियुक्तिनुं आदिवाक्य समान छे] देववाचक प्रा. ग्रं.७०० :जयइ जगजीवजोणीवियाणओ संयुक्त प+ग नन्दीसूत्र-वृत्ति (पे.२) अनुयोगद्वारसूत्र-वृत्ति ...... मलयगिरिसरि हेमचन्द्रसूरि मलशारी सं. सं. ग्रं.७७३२ ग्रं.५८८८ :जयति भुवनैकभानुः सम्यक्सुरेन्द्रकृत गद्य (पे.पृ. ?) पे.वि. : पानाओ अस्त-व्यस्त छे.रचना स्थल धवलक्ककनगर (जुनो नं. १८८०-८१/७०)सूचीपत्र-नं.१-५९. ग्रन्थ नथी.. (१३४२... ४-६४५५) स्थानाङ्गसूत्र जीर्ण संपूर्ण ताडपत्र २१० ७२/८१(७५) सुघमास्वामी .3300 सुय में आउस तण शान्तिनाथचरित्र संपूर्ण ताडपत्र ३०० ७२/८१(१०५) (जुनो नं. १८८०-८१/६५)सूचीपत्र-नं.४-६१., (१६.५४२.५, ४-५४५५-६० शान्तिनाथचरित्र श्रेष्ट संपूर्ण ताडपत्र १५५ ७२/८१(१०५) (जुनो नं. १८८१-८२/१७)सूचीपत्र-नं.४-७२२., । (२९.५४२.३) शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य श्लोक ५५७४ माणिक्यचन्द्रसरि: सं. श्रेष्ठ संपूर्ण तेपि ब्रह्मादयो यस्य १९० कुमारपालचरित ताडपत्र ७२/८१(७९) (जुनो नं. १८८०-८१/२सूचीपत्र नं.४-१२४ (१२२A), /सर्ग-२०, ग्रन्थान-२८२८./पत्र-१८३+२+४+७=१९६., (१६.१४२.१, ५-६४५५-६०) हेमचन्द्रसूरि सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह (पे.१) उबएसमालापगरण सर्ग २० ग्रं. ૨૮૨૮ हस्तप्रत ६४ संपण ७२/८१(६२) (पे. पृ.) पे.वि. : अपूर्ण. गाथा-५४३. प्रारंभ के पत्र नहीं है. गाथा-३५ तक नहीं है. ताडपत्रीय पत्रांक झेरोक्ष में नहीं आया है. झेरोक्ष पत्र-१-११. कृ.वि. : गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे. (पे. पू.?-90६/पे.वि. : झेरोक्ष पत्र ११-२७. ताडपत्रीय। उपदेशमाला धर्मदास गणिप्रा . नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.२) भवभावणा
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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