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________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कर्ता कति प्रकार (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कोडिकोडीणं] (पे.पृ.?) पे.वि. : अपूर्ण, संदर्भरहित, त्रुटक, संदिग्ध व परचूरन कृतियों का संग्रह. :जीर्ण सपूर्ण :५८/६०(४०) (जुनो नं. ३२२)जीर्ण-अव्यवस्थित. (पे.२७) प्रकीर्ण त्रुटित ग्रन्थसङ्ग्रह ताडपत्र तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि (पे.१) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र उमास्वाति अध्याय १० सम्यग्दर्शनज्ञानचारि (पे.२) प्रशमरतिप्रकरण उमास्वाति :श्लोक ३१४ वि. ११८५ नाभेयाद्याः सिद्धा पद्य (३) मेघराजाकथानक (पे.४) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ जो देइ दीवयं जिणवरस ववगयकम्मकलकं वीरं पद्य पद्य maig गा. ५८ नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.५) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (प.पू. -२२१8) पे.वि. : पूर्ण, ताडपत्रीय प्रथम पत्र नहीं है. प्रारंभिक से ६ कारिकाएं नहीं है. झेरोक्ष पत्र-9-१२ (पे.पृ. २२-५०) पे.वि. : पूर्ण, गाथा-३११ तक है. झेरोक्ष पत्र-११-२६. झेरोक्ष पत्रांक १२ के आधे पत्र का झेरोक्ष कट गया है.. (प.पू.22.पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्रांक २७ से है.. (पे.पृ.) पे.वि. संपूर्ण. गाथा-१६६./यह कृति झेरोक्ष पत्र ३५-२९ (२९-३५) पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. कृ.वि. : गाथा १६६ थी। १७८ सुधी मळे छे] (पे.पृ.) पे.वि. : संपूर्ण. गाथा-५२./झेरोक्ष पत्रांक ३७-३५ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष हुआ है.क्र.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे] (पे.पृ. ५-२०4/ पे.वि.पूर्ण. प्रारंभिक पाठ का त्रुटक अंश उपलब्ध है. झेरोक्ष उलटे क्रम से किया गया है. झेरोक्ष पत्र-३७-४६. (पे.पृ. १-२) पे.वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४७-४८. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. [कृ.वि. : अन्त वाक्य-सव्वेसि मवठियसहावो.].. (पे.पृ. २-३) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ४७-४८ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है. कृ.वि. : अन्त वाक्य-विरल विरला तिहुयण नमियं महावीरो (पे.पू. ३०-8A) पे.वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ४७-४८ (पे.६) प्रवचनसन्दोह नमिऊण वद्धमाणं ववगय पद्य अध्याय६पद गा.३३४ (पे.७) औपदेशिक पाठ गा. १३ भो भव्वा अथिरते :पद्य (पे.८) औपदेशिक गाथा विरलासधम्मरया विरला पद्य (पं.९) थर्मप्रभावगाथा प्रा. गा. धम्मेण धणसमिद्धो प द्य 259
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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