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________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम कति प्रकार (पे.४) क्षामणकसूत्र (पे.५) पार्श्वनाथस्तुति (पे.६) वीरजिनस्तुति का.४ (पे.७) जम्बूद्वीपसमासप्रकरण (पे.८) दर्शनसप्ततिकाप्रकरण गा.७० (पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झेरोक्ष पत्र-७४-?. (पे.पू.) पं.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-९०-९१. निष्ठरकमठमहासूर.::.. (पे.पू...पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ९३ पर है. ..नौमि वीरं... पद्य (पे.पृ.?) पे.वि. : पूर्ण, श्लोक-१ का प्रथम पाद अपूर्ण है. झेरोक्ष पत्र-१२ पर है. । जिनभद्र गणिप्रा . गा.८६ नमिउण सजल जलहरपद्य (पे.पृ.) पे.वि. : अपूर्ण झेरोक्ष पत्र १२ पर है. क्षमाश्रमण [कृ.वि. : गाथा-८४ थी १९९ सुधीनी प्रतो मळे छे. बृहत्क्षेत्रसमासनो संक्षेप छे] हरिभद्रसूरि प्रा. दसणसुद्धिपयासं पद्य (पे.पृ.?) पे.वि. : अपूर्ण. मात्र अन्तिम पत्र है. झेरोक्ष पत्र ९२ पर है. हेमचन्द्रसूरि सर्ग १३ श्लोक श्रीमते वीरनाथाय पद्य (पे.पृ.?) पे.वि. : अपूर्ण. स्थिविरावली के दूसरे ३५०० सर्ग का अन्त भाग है. झेरोक्ष पत्र ९२-९३ पर है. ग्रं.२००० सिदिविवन्धव बन्धु (पे.पृ.) पे.वि. : अपूर्ण व त्रुटक.पत्र अस्त-व्यस्त हैं. झेरोक्ष पत्र-१-२२ व १०५-१४४. झे. पत्र १ २२ का पाठ १०५-११० पर भी मिलता है. बीच में अन्य दूसरी कृतियाँ हैं. (पे.पृ.?) पे.वि. : अपूर्ण. इस कृति का क्या आदिवाक्य है किस पत्र पर है आदि का कोई संदर्भ नहीं मिलता. कृ.वि. : : पार्श्वनाथचरित्राद्धृत] (पे. पृ.) पे.वि. : अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८२ पर है. सुधर्मास्वामी अध्याय ३६ ग्र. सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग (पे.९) परिशिष्टपर्व (पे.१०) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ-चूर्णि (पे.99) सामाचारीध्यान? (पे.१२) उत्तराध्ययनसूत्र सह टीका उत्तराध्ययनसूत्र गय उत्तराध्ययनसूत्र-वृत्ति (पे.१३) सामाचारी (पे.१४) नेमिजिन स्तुति पद्य अपभ्रं. निरुवमसहतरुकन्द पद्य (प.पू.) पे.वि. पूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८२ पर है. (पे.पृ.) पे.वि. : अपुर्ण. गाथा-३ तक है. झेरोक्ष पत्र ८३ पर है. (क.वि. : गाथा ३से अधिक है] (पे.पृ.) पं.वि. : अपूर्ण. कृतिनाम अस्पष्ट है. झेरोक्ष पत्र८८-८९ पर है. (पे.पू.) पे.वि. : संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ९९-१०० पर: (पे.१५) पढमस्सयकज्जगाथा गा.१५ पढमस्सयकज्जस्सा पढने (पे.१६) षड़िवथलेश्या .............: गा. १२ ........... जह जम्बुपायवेगों पद्य
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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