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________________ (पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार पूर्णता ग्रंथांक स्थिति प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (सीवीडी- झे.पत्र/.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य (पे.२) न्यायप्रवेशपंजिका न्यायप्रवेशसूत्र-टीकानी पञ्जिकावृत्ति : पार्श्वदेव : वि. ११६९ :दुर्वारमारकरिकुम्भतट :गद्य (प.पू. ११९) कृ.वि. : न्यायावतारनुं टिप्पण छे?/विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ग्रहरसरूद्र संवत. /अन्तवाक्य-न्यायप्रवेशशास्त्रस्य सद्वृत्तेरिहपंजिका.......... (जुनो नं.६४)प्रथम पत्र नथी, बच्चेना केटलाक खण्डित., (१४.५४२) श्रेष्ठ २४५ :६२/६४(९६) देव: स वा स्वपदमायति गद्य विमलसूरि जीर्ण .६२/६४(५४)..........(जनो नं. ७... भारवि त्रिषष्टिशलाकापुरूषचचरित्र विमलसूरिविरचित त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र गद्य किरातार्जुनीयम् सर्ग १७ जीर्ण किरातार्जुनीयमहाकाव्य कर्पूरचरित, हास्यचूडामणि, त्रिपुरदाह, किरातार्जुनीय, (पे.१) कर्पूरचरितमाण .(पे.२) हास्यचूडामणिप्रहसन. (पे.३) त्रिपुरदाह डिम जीर्ण GIGYE १30 ६२/६४(५२) (जुनो नं.२) वत्सराज महामात्य गं. १९० संयुक्त प+ग :वत्सराज महामात्य गं.3७२ दास्येहं परिरम्भणानि कल्याण वितरन्तु .व. परिकरितमिन्दुमोलेर (पे.पू. १-२०). .(पे.पू. २०-122. (पे.पृ. ५२-१०३) [कृ.वि. : डिम.] वत्सराज महामात्य अध्याय ४अंक वत्सराज महामात्य श्लोक६१ सा पातु वस्त्र्यम्बक श्रेष्ठ (पे.पू. १०४-१३०) पे.वि. : व्यायोग... ६२/६४५५६...... .....(जनो नं.)...... ताडपत्र .वि.१२३२. (पे.४) किरातार्जुनीयव्यायोग... शतकचूर्णि शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-चूर्णि कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो १४३. गं.२३२२ सिद्धो निद्धयकम्मो Ye श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र २५१ ६२/६४(१०२) गर्गषि गा.१६७ ववगयकम्मकलड़कवीर पद्य (जुनो नं. ५५)पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी..(१४४१.२) (पे.पृ.???) [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे] (पे.पृ. १-???) [कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे छे. :(पे.पृ.१) पं.वि. : गाथा-२४. गा. ५८ नमिऊण जिणवरिन्दे (पे.१) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ (पे.२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ (पे.३) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ-भाष्य पद्य गा.२५ अहिणवगहणं बन्धो उदओ : पद्य जिनवल्लभ गा.८६ निच्छिन्नमोहपार्स (पे.पृ.???) पे.वि. : गाथा-१०४. कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे.]. आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण.. 231
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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