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________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीकर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) मुनिचन्द्रसूरि श्लोक १० नमामि श्रीपार्श्व चक्रेश्वरसूरि सं. नाभेयादिजिनाः प्रनष् प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार पिय (ये.१६) कलिकुण्डपार्श्वनाथस्तवन (पे. १७) पञ्चपरमेष्ठिस्तुति पद्य वीरगणि :अपन्न. पद्य गठमअवयारि सोहम्मसुर ॐनमो भगवते पार्श्व पद्य (पे.१८) लघुअजितशान्तिस्तव (पे.१९) पार्श्वनाथस्तोत्र मन्त्रगर्भित. (पे.२०) पञ्चमहाव्रत (पे.२१) तीयसपगाथा (ये.२२) अज्ञात-अपभ्रंशस्तोत्रादि सड़ग्रह (पे.पू. १०३4-१०९०) पे.वि. : श्लोक-८. (पे.पू. 990A-99२०) पे.वि. : पत्र अस्त-व्यस्त होने से अन्तिम गाथा नहीं मिलती है. (पे.पू. ११३०-2) पे.वि.: पत्र अस्त-व्यस्त है. (पे.पृ. ७.?).पे.वि. : पत्र अस्त-व्यस्त है.. (पे.पृ.?) पे.वि. : पत्र अस्त-व्यस्त है. (पे.पू.?) पे.वि. : पत्र अस्त-व्यस्त है. (पे.पृ.?) पे.वि. : पत्र अस्त-व्यस्त है. [कृ.वि.: कृतियों त्रुटक व अपूर्ण है. अनुसंधान पाठ नहीं मिलता है. ज्यादातर कृति चक्रेश्वरसूरि रचित अपर्श तीयसप्पदुव्वतीय...... चक्रेश्वरसरि चक्रेश्वरसूरि अपभ्र. है। संपण ३/५४(४२) (जुनो नं. १५२)पत्र-८०+६२. १७३-१ : सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरिका सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्तिनी अवचूरि १७३-२ प्रबोधचन्द्रोदयनाटक धनचन्द्र ३६/५४(४२) (जुनो नं. २४)पहेलुं ने छेल्लुं पानुं जुटक ने चोटेलां छे. कृष्णमिश्र योगशास्त्र चार प्रकाश आदि श्रेष्ठ ४६९-३(१थी ३)=४६६ ३६/५४(१५४) (जुनो नं. १६१)झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है., (१४.५४२ (पे.पु.४-३१) पे.वि.: अपूर्ण प्रारंभिक पत्र (श्लोक १-३९)नथी. झेरोक्ष पत्र-१-१२. (पे.१) योगशास्त्र ४ प्रकाश योगशास्त्र अध्याय १२प्रका हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि नमो दुर्वाररागादिवैर यः परात्मा परञ्ज्योत (ये.२) वीतरागस्तोत्र अध्याय २० ग्रं. १८७ (पे.३) बोधप्रदीप (पे.पृ. ३२-४५) ये.वि. : अपूर्ण, पत्र ४४नो १ टुकडो नथी. झेरोक्ष पत्र-99-१८. [कृ.वि. : प्रकाश-२०] (पे.पृ.४५-५२) पे.वि. : अपूर्ण. त्रुटक पत्र ४५४६-५०-५१ नथी. झेरोक्ष पत्र-१८-२०. कृ.वि... काव्य-५१.... (पे.पृ. ५२-५७) ये.वि. : अपूर्ण, पत्र ५३ अने ५५ नथी. ५६ना बे टुकड़ा छे. झेरोक्ष पत्र-१९-२२... :का.५० बोधप्रदीपपञ्चाशिका (पे.४) आत्मानुशासन चूडोत्तंसितचारुचन्दपद्य सकलत्रिभुवनतिलक पद्य श्लोक ७७ वि.१०४२ पाश्चनाग (दिगम्बर) 136
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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