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________________ ग्रंथांक स्थति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) प्रतविशेष माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता कति प्रकार १४३२ गा.६९७ (पे.१२) पिण्डनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी । प्रा. पिण्डे उग्गम उप्पायण पद्य गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे.] (पे.पृ. १२९-१४७) पं.वि. : गाथा-७१६. [कृ.वि. : गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे] (पे.पू. १४७-१९४) पे.वि. : ग्रन्थान-३५००. (पे.१३) उत्तराध्ययनसूत्र सुधर्मास्वामी अध्याय ३६ग्र. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग २०९५ श्रेष्ठ .३६/५४(४०).. ११३ नाभेयाद्याः सिद्धा वि. ११८५ पद्य १६७-१: प्रशमरतिप्रकरण आदि (पे.१) प्रशमरतिप्रकरण (पे.२) अष्टकप्रकरण (पे.३) षोडशकप्रकरण (पे.४) धर्मलक्षणप्रकरण (पे.५) आत्मानुशासन उमास्वाति हरिभद्रसूरि हरिभद्रसूरि विमलसूरि पार्श्वनाग (दिगम्बर) ताडपत्र श्लोक ३१४ का.२५६. श्लोक २९६. श्लोक २२ श्लोक ७७ पद्य स धर्मार्थ क्लिश्यते : सकलत्रिभुवनतिलक : वि.१०४२ (जूनी नं. २९५(४). (पे.पृ. १-२१). (प.पू. १-१९) (पे.पू..१९-३९) (प.पू. ४०) (पे.पृ. १-८) पे.वि. : श्लोक-७६./प्रथम वे पानाना टुकडा छे. (कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे] (पे.पृ. ८-१०). (पे.पृ. १-१५) [कृ.वि. : श्लोक२४+२७५२०५३६३... (प.पू.१६:१८.. (पे.पृ. १८-२०).. (प...२०-२२) कृ.वि. : भाषा-संस्कृत?] (पे. पृ. १-२०) पे.वि. : खामणा पण साथे छे. विमलसरि का.२८ (पे.६) प्रश्नोत्तररत्नमालिका (पे.७) पञ्चाणुव्रतकथा कः खलु नालक्रियते पद्य सिद्धिमार्गोपदेष्टार श्लोक १४५ पद्य जीवादिपदाशी या का.३१. श्लोक २८ श्लोक ३२ महात्मना सत्यवशाद. तित्थडकर य तित्थे सयक्त प+ग (2.42 पात्रपरीक्षा (प.९) ज्ञानाडकुश (पं.१०) महादेवलक्षण (पे.११) पाक्षिकसूत्र खामणा साथे पाक्षिकसूत्र सिद्धहेमलघुवृत्ति-तृतीयाध्यायतृतीयपाद थी श्रेष्ठ पञ्चमाध्याय पर्यन्त सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति. वन्दारुवृत्ति आदि (पे.१) श्रावकषडावश्यकसूत्र-वन्दारु वृत्ति देवेन्द्रसरि ग्रं.३५० ताडपत्र १६७-२ प्रतिपूर्ण १६२ ३६/५४(५८) (जुनो नं. १५३)छेल्ला पानाना बे टुकडा छे. हेमचन्द्रसार गं.3300 प्रणम्य परमात्मानं श्रेष्ठ ताडपत्र २३८ वृन्दारुवृन्दारक ३६/५४ गद्य ग्रं.२७७० (जुनो नं. १२), (१३४२) (पे.प्र.-८४) पे.वि. : ग्रन्थान-२७२०. कृ.वि. : मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर?] (प.पू.८५. (पे...८५-८६).पे.वि. : गाथा-३०...... देवेन्टसरि प्रा.......... गा.२२. (पे.२) धर्मकुलक (पे.३) चउसरण लघु 131
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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