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________________ ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पातासंघवी) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडानो भंडार स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र डीवीडी (डीवीडीकर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) पार्श्वनाग श्लोक ७७ वि. १०४२ सकलत्रिभुवनतिलक पद्य (दिगम्बर).. प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार (ये.२५) आत्मानुशासन (पे.पृ. २००-२०६) [कृ.वि. : परिमाण आर्या रूपे आप्यु छे] (पे. पृ. २०६-२०९) ये.वि. : श्लोक-३५.. देवसूरि गा.३६ ग्रं.३९. धरणोरगेन्द्रसुरपति पद्य मानतुड़गसूरि :का.४४ पद्य भक्तामरप्रणतमीलिमणि अथ गम्भीरनिर्घोषः श्लोक ४० पद्य (पे.२६) धरणोरगेन्द्रसमा धरणोरगेन्द्रस्तव (पे.२७) भक्तामरस्तव भक्तामरस्तोत्र (पे.२८) गम्भीर स्तव (पे.२९) सिन्दूरप्रकर 1(पे.३०) सर्वज्ञोक्तविध धर्मलक्षण धमेलक्षणप्रकरण (पे.३१) प्रश्नोत्तररत्नमालिका पञ्चाशकसूत्र आदि (2.9) पञ्चाशकप्रकरण (पे..पृ. २०९:२१३/.. कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे. (पे.पू. २१३-२१६८. (पे.पू. २१५-२२५.. (पे. पृ. २२८-२२९) .. सोमप्रभसरि सिन्दरप्रकरस्तपः.... पद्य विमलसरि श्लोक२२ पद्य विमलसरि का.२८ धर्मार्थ क्लिश्यते का खलु नालडिक्रयते । पद्य ३५/५३(५३).... नमिऊण बद्धमाणं सावग: पद्य 1१४५-२ श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र १२९ (प.पू. २२९-22 मे.वि.: अपूर्ण. (जुनो नं. २६८) (पे.पू. १-८३) [कृ.वि.: पञ्चाशक-१-१९] हरिभद्रसूरि : अध्याय १९ गा. : १००० ग्रं. :११८२ गा. ५८ (पे.२) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ नमिऊण जिणवरिन्दे पद्य (पे.पृ.८४-९१) [कृ.वि. : गाथा ५४ थी ५८ मळे (ये.३) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गर्गर्षि :गा.१६७ ववगयकम्मकलङ्क वीरं पद्य (पे.४) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ : शिवशर्मसुरि :गा.१११ अरहन्ते भगवन्ते अणु पद्य (पे.५) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ चन्द्रषि महत्तर :प्रा. :गा.९१ सिद्धपएहि महत्थं पद्य (पे.पृ.९१-१०७) पे.वि. : गाथा-१६८. [कृ.वि. : गाथा १६६ थी १७८.सुधी मळे छे]. (पे.पृ. १०७-११९) पे.वि. : गाथा-११०. [कृ.वि. : गाथा ९० थी ११२ सुधी मळे छे.).. (पे.पृ. ११९-१३९) पे.वि. : गाथा-९१. [कृ.वि. : चन्द्रमहत्तरीयानुसार| गाथाओ ८३ थी ९१ सुधी मळे छे]... (जुनो नं. ७०(१-७)). ।(प.पृ.4-4६).पे.वि.: बौद्ध... प.पू. १५-422 (प.पू.८८-१०१) (प.पू. १०१-११४) पे.वि. : कर्ता तरीके :श्रेष्ठ ताडपत्र | १४८-४(१ थी ४)=१४४ : ३५/५३(६६)... मोक्षाकर गप्त श्लोक८७० १४६-१ तर्कभाषा आदि (पे.) तकभाषा (ये.२) न्यायकलिका (ये.३) योगसङ्ग्रहसार (ये.४) नवतत्त्व सह (प्रा.)भाष्य :नमः स्वमायामाहात्म्य श्रीनन्दिनं गुरूं नान्दवच्छ 120
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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