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________________ परकिरिया 516 - अभिधानराजेन्द्रः - भाग 5 परकिरिया णिकारणे अविधीए निकारणे विहीए, कारणे अविधीए कारणे विधीए, कट्ठमादिएहि जति णीहरति तो अविधी, अड् गुलिमादि-एहिं विधी भवति। ततियभंगे सुत्तं, चरिमो सुद्धो, दोसु आइल्लेसु चउलहुँ। उस्सग्गेणं विधीए अविधीए वा ण णीहरियव्वा, तेसु विराहिज्जतेसु संजमविराहणा, खेत्ते आयविराहणा, तत्थ गिलाणादिआरोवणा, तम्हा अधियासेयव्यं / गाहाणच्चुप्पइतं दुक्खं, अभिभूतो वेयणाएँ तिव्वाए। अद्दीणो अविभितो, तंदुक्खऽहियासए सम्मं / / 72 / / अव्वोच्छित्तिणिमित्तं,जीवट्ठाए समाधिहेतुं वा। गंडादिसु किमिए, जतणाए णीहरे भिक्खू / / 73 / / तेसिंणीहरणे का जयणा ? पोमे पउमे वा अल्लचम्मे वा। सेस पूर्ववत्। सूत्रम्जे भिक्खू अप्पणो दीहाओणहसिहाओ कप्पेज्जवा, संठवेज्ज वा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइज्जइ॥३६|| जे भिक्खू अप्पणो दीहाओ णहसिहाओ कप्पेज वा,संठवेज वा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइजइ // 40 // जे मिक्खू अप्पणो दीहाई जंघारोमाई कप्पेज्ज वा, संठवेज्ज वा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइज्जइ / / 41 / / जे भिक्खू अप्पणो दीहाई कक्खरोमाई कप्पेज्ज वा,संठवेज्ज वा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइजइ / / 42 / / जे भिक्खू अप्पणो दीहाइंसमसूरोमाई कप्पेज्ज वा,संठवेज्जवा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइज्जइ // 43|| जे भिक्खू अप्पणो दीहाई कण्णरोमाई कप्पेज्ज वा,संठवेज्ज वा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइज्जइ // 44|| एवं नासिकारोमाई कप्पेज्ज वा,संठवेज्ज वा०जाव साइज्जइ // 45|| जे मिक्खू अप्पणो दीहाइं चक्खूरोमाई कप्पेज्ज वा,संठवेज्ज वा,कप्पंतं वा संठवंतं वा साइजइ॥४६॥ जे भिक्खू अप्पणो दीहाई मंसूरोमाई कप्पेज्ज वा,संठवेज्जवा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइज्जइ॥४७॥ जे भिक्खू अप्पणो दंते आघंसेज्ज वा,पघंसेज्ज वा, आघंसंतं वा पघंसंतं वा साइजइ॥४८|| जे भिक्खू अप्पणो दंते सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा, पधोवेज्ज वा, उच्छोलंतं वा पधोवंतं वा साइजइ ।।४६|जे भिक्खू अप्पणो दंते फूमेज वा, रएज्ज वा, फूमंतं वा रयतं वा साइज्जइ।।५०।। जे भिक्खू अप्पणो उढे आमज्जेज वा, पमज्जेज्जवा, आमज्जंतं वा पमज्जंतं वा साइज्जइ।।५१||जे भिक्खू अप्पणो उट्टे संवाहेज्ज वा, पलिमद्देज्ज वा, संवाहंतं वा पलिमहतं वा साइज्जइ // 52 // जे भिक्खू अप्पणो उट्टे तिल्लेण वा घएण वा वण्णेण वा वसाए वा णवणीएण वा मंखेज्ज वा, मिलिंगेज्ज वा. मंखंतं वा मिलिंगंतं वा साइज्जइ // 53 // जे मिक्खू अप्पणो उट्टे कक्केण वा लोद्देण वा उल्लोलेज्ज वा, उव्वट्टेल वा, उल्लोलंतं वा उव्वदृतं वा साइज्जइ / / 54|| जे मिक्खू अप्पणो उट्टे सीतोदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा, पधोएज वा, उच्छोलंतं वा पधोवंतं वा साइज्जइ // 55 // जे भिक्खू अप्पणो उद्दे फूमेज्ज वा, रएज्ज वा, मंखेज्ज वा, फूमंतं वारयंतं वा मंखंतं वा साइज्जइ // 56|| जे भिक्खू अप्पणो दीहाइं उत्तरउट्ठाई कप्पेज वा, संठवेज्ज वा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइज्जइ / / 57 / / जे भिक्खू अप्पणो दीहाई अच्छिपत्ताई कप्पेज वा, संठवेज्ज वा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइज्जइ / / 58|| जे भिक्खू अप्पणो अच्छिणी आमज्जेज्ज वा, पमज्जेज वा, अमज्जंतं वा पमजंतं वा साइजइ॥५६॥ जे भिक्खू अप्पणो अच्छिणी संवाहिज्ज वा, पलिमद्देज वा, संवाहतं वा पलिमदंतं वा साइजइ // 60 / / जे भिक्खू अप्पणो अच्छिणी तेल्लेण वा घएण वा वण्णेण वा वसाए वा णवणीएण वा मंखेज्ज वा, मिलिंगेज्ज वा, मंखंतं वा मिलिंगतं वा साइज्जइ // 61 // जे भिक्खू अप्पणो अच्छिणी कक्केण वा लोडेण वा उल्लोलेज्ज वा, उव्वटेज्ज वा, उल्लोलंतं वा उव्वस॒तं वा साइज्जइ / / 6 / / जे भिक्खू अप्पणो अच्छिणी सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलिज्ज वा, पधोएज्ज वा, उच्छोलंतं वा पधोयंतं वा साइज्जइ॥६३|| जे भिक्खू अप्पणो अच्छिणी फूमेज्ज वा, रएज्ज वा, मंखेज्ज वा, फूमंतं वा रयंतं वा मंखंतं वा साइज्जइ // 65 // जे भिक्खू अप्पणो दीहाई भुमगरोमाइं कप्पेज्ज वा, संठवेज्ज वा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइज्जइ // 65 // जे भिक्खू अप्पणो दीहाई वत्थिरोमाइं कप्पेज्ज वा, संठवेज्ज वा, कप्पंतं वा संठवंतं वा साइज्जइ॥६६॥ जे भिक्खू अप्पणो अच्छिमलं वा कण्णमलं वा दंतमलं वाणीहरेज वा, विसोहेज वा, णीहरंतं वा विसोहंतं वा साइज्जइ६७ तेरस सुत्ता उच्चारेयव्वा, सुत्तत्थो णिज्जुत्ती य लाघवत्थे जुगवं वक्खाणिजंति। गाहाजे भिक्खू णहसिहाओ, कप्पेज्जा अधव संठवेज्जा वा दीहं च रोमराई, मंसूकेसे तु उत्तरोट्टे वा / / 74 / / णहाणं सिहा णहसिहा, नखा इत्यर्थः / कल्पयति छिंदति संठवेति तीक्ष्णे करोति, चन्द्रार्धे सुकतुडे वा करेति रोमराई पोट्टे भवति, ते दीहे कप्पेति, संठवेति-सुविहिते अधोमुहे ओलिहति, मंसू चिवुकेजधासु गुज्झदेसे वा छिद्र
SR No.016147
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri
PublisherRajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan
Publication Year2014
Total Pages1636
LanguageHindi
ClassificationDictionary
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