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________________ जीयववहार 1518 - अमिधानराजेन्द्रः - भाग 4 जीयववहार लघु 10 EE एकाशीतिकस्य नवविधव्यवहारयन्त्रकस्य स्थापना चेयम् - वर्षासु 27 उत्कृष्टापत्तौ मध्यमापात्तौ जघन्यापत्तौ |6 / 5 गुरुतमम् उ० उ०१२ 43 गुरुतरम् म० उ०१० 21 गुरु ज० उ० 8 गुरुतमम् उ० म० 10 गुरुतरम् म० म० 8 गुरु ज० म० 6 गुरुतमम् उ० ज० 8 गुरुतरम् म० ज० 6 गुरु ज० ज० 4 27 // लघु उ० उ० 10 / / |25 लघुतरम्म 0 उ० 8 20 लघुतमम्। ज० उ० 6 उ० म० 8 लघुतरम् म० म०६ लघुतमम् ज० म०४ लघु उ० ज० 6 लघुतरम् म० ज०४ लघुतमम् ज० ज०आ० 15 लघुकम् उ. उ. 8 लघुक्तरम् म० उ० 6 5 लघुकतमम् ज० उ० 4 लघुकम् उ० म० 6 लघुकतरम् म० म० 4 लघुकतमम् ज० म० आ० लघुकम् उ० ज० 4 / लघुकतरम् म०ज० आचाम्लम् लघुकतमम् ज०ज०एकाशनकम् शिशिरे 27 उत्कृष्टापत्तौ मध्यमापत्तौ जघन्यापत्तौ 6 / 5 गुरुतमम् उ० उ०१० | 4 / 3 गुरुतरम्म 0 उ० 8 21 गुरु ज.० उ० 6 गगुरुतमम् उ० म० 8 गुरुतरम् म० म० 6 / ज० म० 4 गुरुतमम् उ० ज० 6 / गुरुतरम् म० ज० 4 / गुरु ज० ज०आ० 27 // लघु उ० उ० 8 / 25 लघुतरम् म० उ० 6 20 लघुतमम् ज० उ० 4 लघु उ० म० 6 लघुतरम् म० म०४ लघुतमम् ज० म०आ० उ० ज० 4 लघुतरम् म० ज०आ० लघुतमम् ज० ज० ए० | 15 लघुकम् उ० उ० 6 10 लघुकतरम् म० उ० 4 / लघुकतम्म् ज० उ० आ० लघुकम् उ० म० 4 लघुकतरम् म०म० आ० लघुकतमम् ज० म० ए० लघुकम् उ० ज०आ० लघुकतरम् म० ज० ए० लघुकतमम् जज पूरिमार्द्धम् ग्रीष्मे 27 उत्कृष्टापत्ती मध्यमापत्तौ जघन्यापत्तौ 6 / 5 गुरुतमम् उ० उ० 8 4 / 3 गुरुतरम् म० उ० 6 21 गुरु ज० उ० 4 गुरुतमम् उ० म० 6 गुरुतरम म० म० 4 गुरु ज 0 म०आ० गुरुतमम् उ० ज० 4 गुरुतरम् म० ज०आ० गुरु ज० ज० ए० 27 // लघु उ० उ०६ | 24 लघुतरम् म० उ० 4 20 लघुतमम् ज० उ०आ० लघु उ० म०४ लघुतरम् म० म० आ० लघुतमम् ज०म० ए० लघु उ० ज०आ० लघुतरम् म० ज० ए० लघुतमम् ज० ज० पु० 15 लघुकम् उ० उ० 4 | 10 लघुकतरम् म० उ०आ० लघुकतम्म् ज० उ० ए० लघुकम् उ० म० आ० लघुकतरम् म० म० ए० लघुकतमम् ज०म० पु० लघुकम् उ० ज० ए० लघुकतरम् मज० पुरिमाद्धम् लघुकतमम् ज०जनिर्विकृतिकम् लघु
SR No.016146
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri
PublisherRajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan
Publication Year2014
Total Pages1456
LanguageHindi
ClassificationDictionary
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