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________________ आउ 21 अभिधानराजेन्द्रः भाग 2 आउ गोयमा ! णो भवणवासी देवाउयं पकरेंति, णो दाणमंतरदेवाऽऽउयं पकरेंति, णो जोइसियवेमाणियदेवाउयं पकरेंति। के वलणाणी जहा अलेस्सा / अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया / / सज्ञिकादीनां क्रियावाद्यादिजीवानामायुर्यथासण्णासु चउसु वि जाव सलेस्सा णो सण्णोवउत्ता जहा मणपज्जवणाणी॥ सवेदकावेदकसकषाय्यकषायिसयोग्ययो गिसाकारोपयुक्ता- | नाकारोपयुक्तानां क्रियावाद्यादिजीवानामायुर्यथासवेदगा जाव णपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा / / अवेदगा जहा अलेस्सा / / सकसाईजाव लोभकसाईजह सलेस्सा। अकसाई जह अलेस्सा / / सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा // अजोगी जहा अलेस्सा // सागारोवउत्ताय, अणागारोवउत्ता य जहा सलेस्सा।। (सूत्र-८२४) क्रियावाद्यादिनरयिकादीनामायुर्यथाकिरियावादी णं भंते ! णेरइया किं णेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा ! णो णेरइयाउयं, णो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ, मणुस्साउयं पकरेइ, णो देवाउयं पकरेइ / / अकिरियावादी णं मंते ! णेरइया पुच्छा, गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ, मणुस्साउयं पि पकरेइ, णो देवाउयं पि पकरेइ // एवं अण्णाणियवादी वि / / वेणइयवादी वि | सलेस्सा णं भंते ! णेरइया किरियावादी किं णेरइयाउयं, एवं सव्वेऽवि णेरइया, जे किरियावादी ते मणुस्साउयं एगं पकरेंति / जे अकिरियावादी अण्णणियवादी वेणइयवादी वि ते सव्वट्ठाणेसु वि णो णेरइयाउयं पकरेंति / तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति / णो देवाउयं पि पकरेंति, णवरं सम्मामिच्छत्ते उवरिल्लेहिं दोहिं समोसरणेहिं न किंचि विपकरेंति, जहेव जीवपदे / एवं जाव थणियकुमारा जहेव णेरइया। अकिरियावादी णं भंते ! पुढवीकाइया पुच्छा, गोयमा! णो णेरइयाउयं पकरेइ,तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ, मणुस्साउयं पकरेइ, णो देवाउयं पकरेइ / / एवं अण्णाणियावादी वि / / सलेस्सा णं भंते! एवं जं जं पदं अत्थि पुढवीकाइयाणं तहिं तहिं मज्जिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं आउयं पकरेंति, णवरं तेउलेस्साए किं पिपकरेंति॥ एवं आउकाइयाण वि, एवं वणस्सइकाइयाण वि, तेउकाइया वाउकाइया सव्वट्ठाणेसु मज्जिमेसु दोसु समोसरणेसु णो णेरइयाउयं पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ,णो मणुस्साउयं पकरेइ, णो देवाउयं पकरेइ-बेइंदिय- तेइंदिय- चउरिंदिया णं जहा पुढवीकाइया णं णवरं सम्मत्ते णाणेसु ण एक्कं पि आउयं पकरेंति / / किरियावादी णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं गेरइयाउयं पकरेंति, पुच्छा, गोयमा ! जहा मणपज्जवणाणी अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयावादीचउव्विहं पिपकरेंति।जहा ओहिया तहा सलेस्सा वि।। कण्हलेस्सा णं भंते ! किरियावादी पंचिंदियतिरिक्खजो-णिया किं णेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा! णो णेरयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, णो मणुस्साउयं पकरेंति, णो देवाउयं पकरेंति। अकिरियावादी, अण्णाणियवादी, वेणइयावादी चउव्विहं पि पकरेंति। जहा कण्हलेस्सा। एवं णीललेस्सा वि। काउलेस्सा वि / तेउलेस्सा जहा सलेस्सा / णवरं अकिरियावादी; अण्णाणियवादी; वेणइयवादी णो णेरयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति ! एवं पम्हलेलेस्सा वि / एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियव्वा / कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउव्विहं पि आउयं पकरेंति / सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा। सम्मविट्ठीजहा मणमज्जवणाणीतहेव वेमाणियाउयं पकरेंति।। मिच्छट्ठिी जहा कण्हपक्खिया। सम्मामिच्छादिट्ठी णं एक्कं पि आउयं पकरेंति जहेव, णेरइया णाणी जाव ओहिणाणी जहा सम्मविट्ठी अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया। सेसा जाव अणा-गारोवउत्ता, सव्वे जहा सलेस्सा तहाचेव भाणियव्वा।जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मणुस्साण वि भाणियव्वा, णवरं मणपज्जवणाणी णो सण्णो वउत्ता य जहा सम्मट्ठिी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियट्वा / अलेस्से केवलणाणी अवेदकअकसाई अजोगी य एए एक्कं पि आउयं ण पकरेंति, जहा ओहिया जीवा। सेसंतंचेव। वाणमंतर-जोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा। (सूत्र- 825) / 'पुढविकाइये' त्यादौ 'दुविहं आउय' त्ति-मनुष्यायुस्ति-र्यगायुश्चेति 'तेओलेस्साए न किं पि पकरेंति' त्ति-अपर्याप्तका-वस्थायामेव, पृथिवीकायकानां तद्भावात्तद्विगम एव चायुषो बन्धादिति 'सम्मत्तनाणेसु नएक्कं पि आउयं पकरेंति' त्ति-द्वीद्रियदीनां सम्यक्त्वज्ञानकालात्यय एवायुर्बन्धो भवत्यल्पत्वात्तत्कालस्येति नैकमप्यायुर्बध्नन्ति तयोस्ते इति / पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकदण्डके / कण्हलेस्साणमि' त्यादि, यदा पञ्चेन्द्रियातिर्यञ्च: सम्यगदृष्ट्य: कृष्णलेश्यात्रयपरिणता भवन्ति तदायुरेकमपि न बध्नन्ति सम्यग्दृशां वैमानिकार्युबन्धकत्वेन तेजोलेश्यादित्रय एव बन्धनादिति,'तेओलेस्साजहसलेस्सत्ति-अनेनच क्रियवादिनो वैमानिकायुरेव इतरे तु त्रयश्चतुर्विधमप्यायुः प्रकुर्वन्तीति प्राप्त
SR No.016144
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri
PublisherRajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan
Publication Year2014
Total Pages1224
LanguageHindi
ClassificationDictionary
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