________________ [प्राकृत विभक्ति, चतुर्थी पञ्चमी (165) अभिवानराजेन्द्रपरिशिष्टम् 3 / [शब्दरूपावलिः] एकवचन। बहुवचन / इत्थीअ,इत्थीआ, इत्थीइ, इत्थीए। इत्थीणं, इत्थीण। इत्थीअ, इत्थीआ, इत्थीइ, इत्थीए, इत्थित्तो,) इत्थित्तो, इत्थीओ, इत्थीउ, इत्थीहिन्तो इत्थीसुन्तो! इत्थीओ, इत्थीउ, इत्थीहिन्तो। इत्थीअ, इत्थीआ, इत्थीइ, इत्थीए। इत्थीणं, इत्थीण। इत्थीअ, इत्थीआ, इत्थीइ, इत्थीए। इत्थीसुं, इत्थीसु। हे इत्थी, हे इत्थि, हे इत्थीओ, हे इत्थीउ, हे इत्थी, हे इत्थीआ। षष्ठी सप्तमी संबोधनम् द्वितीया चतुर्थी प्रकृत्यन्तरेण स्त्रीशब्दरूपाणि। विभक्ति, एकवचन। बहुवचन / प्रथमा थी, थीआ! ("स्त्रिया इत्थी" // 2 / 130 // स्त्री- थी, थीओ, थीउ, थीआ। शब्दस्य इत्थी इत्यादेशो वा भवति / पक्षे 'सर्वत्र लवरामवन्द्रे' / / 2 / 76| इति रलोपे 'स्तस्य थोऽसमस्तस्तम्बे ||6 / 2245 / / 'स्तम्बं समस्त च त्यक्त्वा, स्तस्य थादेश इष्यते / इति 'थी' रूपं निष्पन्नम्।) थिं। थी, थीओ, थीउ, थीआ। तृतीया थीआ, थीअ, थीइ, थीए। थीहिं, थीहि, थीहि। थीआ,थीअ, थीइ, थीए। थीणं, थीण। पञ्चमी थीआ, थीअ, थीइ, थीए, थित्तो, थीओ, थीउ,) थित्तो, थीओ, थीउ, थीहिन्तो, थीसुन्तो। थीहिन्तो। षष्ठी थीआ, थीअ, थीइ, थीए। थीणं, थीण। सप्तमी थीआ, थीअ, थीइ, थीए। थीसु,थीसु। संबोधनम् हे थी, हे थि। हेथीओ, हेथीउ,हे थी, हेथीआ। उकारान्तः स्त्रीलिङ्गो धेणुशब्दः / विमक्ति, एकवचन। बहुवचन / प्रथमा धेणू। धेणूउ, धेधूओ, धेणू। द्वितीया धेणु! घेणूउ, घेणूओ, घेणू। घेणूअ, धेणूआ, घेणूइ, धेणुए। घेणुहि, धेणूहिँ, घेणूहि। ___घेणुअ, धेणुआ, घेणूइ, घेणुए। घेणूणं, धेणूण। घेणूअ, धेणूआ, घेणूइ, घेणूए, धेणुत्तो, धेणूओ,) धेणुत्तो, धेणूओ, धेणूउ, घेणूहिन्तो, घेणूसुन्तो। घेणुउ, धेणू हिन्तो। षष्ठी धेणूअ, घेणूआ, धेणूइ, धेणूए।। घेणुणं, धेणूण। सप्तमी घेणूअ, घेणूआ, घेणूइ, धेणुए। घेणूसु,धेणूसु। संबोधनम् हे धेणु, हे धेणु। हे घेणूओ, हे घेणूउ, हे धेणू। ऊकारान्तः स्त्रीलिङ्गो वधूशब्दः। विभक्ति एकवचन। बहुवचन / प्रथमा वहू। वहूउ, बहूओ, वहू। द्वितीया वहुं। वहूउ, वहूओ, वहू। तृतीया वहूआवहूअ, वहूइ, वहुए। वहूहिं, वहूहि, वहूहि। वहूआ, वहूअ, वहूइ, वहुए। वहूणं, वहूण। पञ्चमी बहूआ, वहूअ, वहूइ, वहूए. वहुत्तो, वहूओ, वहूउ.) वहुत्तो, वहूओ, वहूउ, वहूहिन्तो, वहूसुन्तो। वहहिन्तो। तृतीया पञ्चमी चतुर्थी