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________________ आयुर्वेद की परम्परा] [ आयुर्वेद की परम्परा च्यवन-जीवदान; जनक-वैद्यसन्देह-जन; बुध-सर्वस:र; जाबाल-तन्त्रसार; जाजलि-वेदाङ्गसार; पैल-निदान; करथ- सर्वधर; अगरत्य-द्वैधनिर्णय । ब्रह्मवैवतपुराण ब्रह्मखण्ड अ० १६ । ___आत्रेय पुनर्वसु आयुर्वेदशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य माने जाते हैं। इनका समय ई० पू० ६ सौ वर्ष से भी पहले माना जाता है। इनके शिष्य का नाम अग्निवेश था जो चरक के गुरु थे। सम्प्रति आयुर्वेद का प्राचीनतम ग्रन्थ एकमात्र 'चरक' ही उपलब्ध होता है जिसे 'चरकसंहिता' कहते हैं। चरक सम्राट् कनिष्क के समकालीन थे। [ दे० चरक ] आयुर्वेद के अन्य प्राचीन ग्रन्थों में 'भेलसंहिता' एवं 'हारीतसंहिता' के नाम आते हैं । दोनों की बहुत सारी बातें 'चरकसंहिता' से मिलती-जुलती हैं। 'भेलसंहिता' की रचना सूत्रस्थान, निदान, विमान, शारीर, चिकित्सा, कल्प एवं सिद्धस्थान के रूप में हुई है। दोनों ही ग्रन्थ सम्प्रति प्राप्त होते हैं। [ दे० भेलसंहिता एवं हारीतसंहिता 'सुश्रुतसंहिता' आयुर्वेद का अत्यन्त महत्वपूरन्थ है जिसका समय अभी तक अज्ञात है । इसमें एक सौ बीस अध्याय हैं तथा चिकित्सा शास्त्र के सभी प्रमुख अंगों का विवेचन है [ दे० सुश्रुतसंहिता ] । आयुर्वेदशास्त्र के अनेक ग्रन्थ अब विलुप्त हो गए हैं। उनके नाम या तो टीकाओं में प्राप्त होते हैं या अन्य ग्रन्थों में । उनमें प्रसिद्ध ग्रन्थों के नाम इस प्रकार हैं कायचिकित्सा सम्बन्धी तन्त्र-अग्निवेशसंहिता, भेलसंहिता, जतुकर्णसंहिता, । पाराशरसंहिता, हारीतसंहिता, क्षारपाणिसंहिता, . खरनादसंहिता विश्वामित्रसंहिता, अरिन्द्रसंहिता, अत्रिसंहिता, मावण्डेयसंहिता, आश्विनसंहिता, भारद्वाजसंहिता, भानुपुत्र संहिता । शल्य चिकित्सा सम्बन्धी तन्त्र-औपधेनव तन्त्र, औरभ्र तन्त्र, बृहत्सुश्रुत तन्त्र, सुश्रुत तन्त्र, पौष्कलावत तन्त्र, वैतरण तन्त्र, बृद्धभोज तन्त्र, भोज तन्त्र, कृतवीर्य तन्त्र, करवीयं तन्त्र, गोपुररक्षित तन्त्र, भालु की तन्त्र, कपिलबल तन्त्र, सुभूतिगौतम तन्त्र ।। शालाक्य सम्बन्धी तन्त्र-विदेह तन्त्र, निमि तन्त्र, कांकायन तन्त्र, गाग्यं तन्त्र, गालव तन्त्र, सात्यकि तन्त्र, भद्रशौनक तन्त्र, कराल तन्त्र, चक्षुप्य तन्त्र, कृष्णात्रेय तन्त्र, कात्यायन तन्त्र । भूतविद्या सम्बन्धी तन्त्र-अथर्वतन्त्र । कौमारभृत्य सम्बन्धी तन्त्र-वृद्धकाश्यप संहिता, काश्यप संहिता, सनक संहिता, उशन संहिता, लाट्यायन संहिता, आलम्बायन संहिता, उशन संहिता, बृहस्पतिं संहिता । रसायन तन्त्र-पातम्जल तन्त्र, व्याडि तन्त्र, वशिष्ठ तन्त्र, माण्डव्य तन्त्र, नागार्जुन तन्त्र, अगस्त्य तन्त्र, भृगुतन्त्र, कक्षपुट तन्त्र, आरोग्यमन्जरी। वाजीकरण तन्त्र-कुचुमार तन्त्र । गुप्तकाल में वाग्भट नामक प्रसिद्ध आयुर्वेदज्ञ ने 'अष्टांगसंग्रह' नामक ग्रन्थ लिखा जिसके पद्यमय संक्षिप्त रूप को 'अष्टांगहृदय' कहते हैं। [ दे० अष्टांगसंग्रह ] इस पर अनेक टीकाएं प्राप्त होती हैं। सातवीं शताब्दी में माधवकर ने 'माधवनिदान' ग्रन्थ
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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