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________________ महाभारत] ( ३६६ ) [महाभारत ई० पू० मानते हैं। 'महाभारत' में १८ पर्व या खण्ड हैं-आदि, सभा, वन, विराट्, उद्योग, भीष्म, द्रोण, कणं, शल्य, सौप्तिक, स्त्री, शान्ति, अनुशासन, अश्वमेध, आश्रमवासी, मौसल, महाप्रस्थानिक तथा स्वर्गारोहणपर्व।। १-आदिपर्व की विषयसूची-'महाभारत' की रचना की कथा, ब्रह्माजी की कृपा से गणेश द्वारा 'महाभारत' का लेखन, चन्द्रवंश का इतिहास तथा कोरबोंपाण्डवों की उत्पत्ति, विदुर, कणं, कृष्ण, सात्यकि, कृतवर्मा, द्रोण, अश्वत्थामा, घृष्टद्युम्न आदि के जन्म की कथा, कुन्ती और माद्री के गर्भ से धर्म, वायु, इन्द्र और अश्विनीकुमारों द्वारा युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव की उत्पत्ति, शिखण्डी का जन्म, दुष्यन्त और शकुन्तला का आल्यान, दक्ष, वैवस्वत मनु एवं उनके पुत्रों की जन्म-कथा, कच-देवयानी की कथा, शान्तनु और गङ्गा के विवाह की कथा तथा भीष्म द्वारा आजीवन अविवाहित रहने की प्रतिज्ञा । सत्यवती के गर्भ से चित्रांगद एवं विचित्रवीर्य का जन्म, शान्तनु तथा चित्रांगद की मृत्यु एवं विचित्रवीर्य का गज्याभिषेक । विचित्रवीय की मृत्यु पर माता सत्यवती के अनुरोज से कुषवंश की वृद्धि के लिये व्यास द्वारा विचित्रवीर्य की पत्नियों से धृतराष्ट्र, पाण्डु एवं विदुर का जन्म। धृतराष्ट्र एवं पातु का विवाह; धृतराष्ट्र के सौ पुत्र तथा पाण्डवों की जन्म-कथा, द्रोण का परशुराम से अल प्राप्त करना तथा राजा द्रुपद से अपमानित होकर हस्तिनापुर आना एवं राजकुमारों की शिक्षा के लिये उनकी नियुक्ति, दुर्योधन द्वारा लाक्षागृह में पाण्डवों को मारने की योजना तथा उसकी विफलता, हिडिम्ब का वध कर भीम का उसकी बहिन हिडिम्बा से ब्याह करना तथा घटोत्कच की उत्पत्ति । द्रौपदी का स्वयम्बर तथा अर्जुन का लक्ष्यवेध कर द्रोपदी को प्राप्त करना; पांचों भाइयों का द्रौपदी के साथ विवाह, द्रोण और विदुर के परामर्श से पाणवों का आधा राज्य प्राप्त कर इन्द्रप्रस्थ में अपनी राजधानी बनाना, मणिपुर में चित्रांगदा के साथ अर्जुन का विवाह, द्वारिका में सुभद्रा-हरण एवं अर्जुन के साथ विवाह, खाणववन का दाह ।। २-सभाप-मय दानव द्वारा अद्भुत सभा का निर्माण तथा नारद का वागमन, युधिष्ठिर का राजसूय करने की इच्छा प्रकट करना, राजसूय का वर्णन, भीष्म के कहने पर श्रीकृष्ण की पादपूजा, शिशुपाल का विरोध तथा कृष्ण द्वारा उसका वष, दुर्योधन की ईर्ष्या, तक्रीड़ा के लिए युधिष्ठिर का आह्वान, शकुनी की चाल से युधिष्ठिर की हार, राज्य, भाइयों तथा द्रौपदी को हार जाना, दुःशासन द्वारा द्रौपदी का चीरहरण, युधिष्ठिर आदि का वनगमन । ३-वनपर्व-पाण्डवों का काम्यक् वन में प्रवेश तथा विदुर और श्रीकृष्ण का आगमन । व्यास जी के आदेश से पाण्डवों का इन्द्रकील पर्वत पर जाकर इन्द्र का दर्शन करना, अर्जुन की तपस्या एवं शिव जी से पाशुपतास्त्र की प्राप्ति, उर्वशी का अर्जुन पर आसक्त होना, अर्जुन का तिरस्कार करना तथा उर्वशी द्वारा उनका शापित होना, नल. दमयन्ती की कथा, परशुराम, अगस्त्य, वृत्रक्ष, सगर, भगीरथ, गंगावतरण ऋष्यशृङ्ग,
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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