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________________ फेसबमित्र] [ यट मध्याय हैं तथा कारिका, वृत्ति और उदाहरण इसके तीन विभाग हैं। अध्यायों का विभाजन २२ मरीचियों में हुआ है । स्वयं लेखक ने कारिका एवं वृत्ति की रचना की है मोर उदाहरण अन्य ग्रन्थों से लिए हैं । इसमें वर्णित विषयों की सूची इस प्रकार है :१. काव्य-लक्षण, २. रीति, ३. शब्दशक्ति, ४. बाठ प्रकार के पददोष, ५. अठारह प्रकार के वाक्य-दोष, ६. आठ प्रकार के अयंदोष, ७. पांच प्रकार के शब्दगुण, ८. अलंकार, ९. रूपक । लेखक के अनुसार इसकी कारिकाओं की रचना 'भगवान् शुद्धोदनि' के अलंकार अन्य के आधार पर हुई है। आधार ग्रन्थ-भारतीय साहित्यशास्त्र-(भाग १)-आ. बलदेव उपाध्याय । केशवमिश्र न्यायदर्शन के लोकप्रिय लेखकों में केशवमिश्र का नाम अधिक प्रसिद्ध है । इनकी प्रसिद्ध रचना 'तर्कभाषा' है । केशवमिश्र का समय सन् १२७५ ई. है। संस्कृत में तर्कभाषा के तीन लेखक हैं और तीनों भिन्न-भिन्न दर्शन के अनुयायी हैं। बौढतकभाषा के लेखक का नाम मोक्षाकर गुप्त है जो ११०० ई० में हुए थे। इस ग्रन्थ में बौद्ध न्याय का निरूपण है। द्वितीय तकभाषा' का सम्बन्ध जैनन्याय से है और इसके लेखक हैं श्री यशोविजय । इनका समय सन् १६८८ ई० है । केशवमिश्र के शिष्य गोवर्धन मिश्र ने 'तर्कभाषा' के ऊपर 'तर्कभाषा-प्रकाश' नामक व्याख्या लिखी है । गोवर्धन ने अपनी टीका में अपने गुरु का परिचय भी दिया है। केशव मिश्र के पिता का नाम 'बलभद्र' था तथा उनके 'विश्वनाथ' एवं 'पद्मनाभ' नामक दो ज्येष्ठ भ्राता थे। अपने बड़े भाई से तकशास्त्र का अध्ययन करके ही केशव मिश्र ने 'तर्कभाषा' की रचना की थी। श्रीविश्वनाथानुज-पानाभानुजो गरीयान् बलभद्रजन्मा। तनोति तनिधिगत्य सर्वान् श्रीपग्रनाभाद्विदुषो विनोदम् ॥ विजयश्रीतनूजन्मा गोवर्धन इति श्रुतः । तर्कानुभाषां तनुते विविच्य गुरुनिमिताम् ॥ 'तकभाषा' में न्याय के पदार्थों का अत्यन्त सरल ढंग से वर्णन किया गया है । यह अन्य विद्वानों एवं छात्रों में अत्यन्त लोकप्रिय है। इस पर १४ टीकाएं लिखी गयी हैं बिनमें सबसे प्राचीन गोवर्धन मिश्र कृत टीका ( सन् १३०० ई०) है । नागेशभट्ट ने भी इस पर 'युक्तिमुक्तावली' नामक टीका लिखी है। इसका हिन्दी भाष्य आ० विश्वेश्वर ने किया है। आधारग्रन्थ-हिन्दी तक भाषा (भूमिका)-पा० विश्वेश्वर (चौखम्बा प्रकाशन)। ३ : कैयट-वैयाकरण एवं 'महाभाष्य' के प्रसिद्ध टीकाकार । मीमांसक जी के अनुसार इनका समय ११वीं शताब्दी का उत्तरा है। इनके पिता का नाम जैयट था। इन्होंने 'महाभाष्यप्रदीप' नामक 'महाभाष्य' की प्रसिद्ध टीका लिखी है। इस पर १५ बैकाएं लिखी गयी हैं और सबों का विवरण प्राप्त होता है। टीकाकारों के नाम हैंचिन्तामणि ('महाभाष्य कैयट प्रकाश' तथा 'प्रक्रिया कौमुदी टीका', समय १५वीं पती का पूर्व) नागनाथ ( १६वीं शताब्दी का उत्तराई अन्य का नाम है 'महाभाष्य भावीपोचोतन' ), रामचन्द्र (१६वीं एवं १७वी सती, अन्न का नाम 'विवरण'),
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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