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________________ केशवकृतः कल्पद्रुकोशः १४६ द्विविधा फलभेदेन काकाण्डी कोलपालिका। पर्यपालिका खटवा खट्वाङ्गी दधिपुष्प्यपि ॥१४॥ असिपर्यायशिम्ब्यर्था सुशिम्बी'स्थलशिम्बिका । कारवल्ली तु कटुका चीरी पत्रा कठिल्लका ॥१४६॥ सितपुष्टाम्बुसूक्ष्माभ्यां वल्ली कण्टफलाप्यथ । कर्कोटकी स्वादुफला मनोज्ञा च मनस्विनी ॥१४७॥ वोधना बन्ध्यकर्कोटी देवी कण्टफलाप्यथ । व्याघी कण्टलता व्याली मांसी चाखुनखी मृगी ॥१४८॥ मार्जारिण्यथ विम्बी तु तुण्डी रक्तफला च सा । अधरोष्ठफला पीलुपी सा रुचिरात्फला ॥१४६॥ कटुस्वादुफला द्वधा ग्रामतः पविका तुसा। मण्डपी कलिका शिम्बी कलिनी नखपूर्विका ॥१५०॥ निःपावी स्याद्गुच्छफला फलिनी चिपिटा चसा। विशालाप्यथ वार्ताकी वृन्ताकी कण्टपत्रिका ॥१५१॥ कटालुमासलफला शाकश्रेष्ठा च कटफला। . महोटिका च निद्रालुव॑न्ताकी महती च सा ॥१५२॥ चित्रफला कण्टकिनी जनप्रियफला पुनः । रक्तनीलमिश्रवर्णश्वेतेभ्यः फलसंज्ञका ॥१५३॥ स्थलB२पान्त्रा कटिल्लिकाB ३ चB४ शिम्बकिलिनीBजिकाB
SR No.016138
Book TitleKalpadru Kosh Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesava, Ramavatara Sarma
PublisherOriental Institute
Publication Year1928
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size30 MB
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