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________________ ग्रन्थ का रचयिता भी माना जाता है जिसमें श्रीकृष्ण के चरित्र का चित्रण हुआ है। यह ग्रन्थ वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। आचार्य विमल के समय के सम्बन्ध में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। -पउमचरिय विमलनाथ (तीर्थंकर) प्रवहमान अवसर्पिणी काल के तेरहवें तीर्थंकर । अष्टम स्वर्ग से च्यव कर प्रभु कपिलपुर नरेश महाराज कृतवर्मा की पट्टमहिषी श्यामारानी की रत्नकुक्षी में अवतरित हुए। चतुर्दश शुभ स्वप्न दर्शन से स्पष्ट हो गया कि महारानी चक्रवर्ती अथवा तीर्थंकर पुत्र को जन्म देगी। माघशुक्ला तीज को महारानी ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया, जिसे नामकरण के दिन 'विमलनाथ' नाम दिया गया। प्रभु युवा हुए तो अनेक राजकन्याओं के साथ उनका विवाह किया गया और फिर प्रभु का राजतिलक किया गया । अनेक वर्षों तक प्रभु ने राज्य किया। आखिर माघ शुक्ला चतुर्थी के दिन प्रभु ने नश्वर राज्य का त्याग कर आत्मराज्य के शासन की प्राप्ति के लिए दीक्षा धारण की। दो वर्ष की तप-ध्यान साधना से ही प्रभु ने कैवल्य को साध लिया और धर्मतीर्थ की स्थापना कर लोक कल्याण का शंखनाद फूंका। प्रभु के तीर्थ से लाखों भव्यात्माओं ने आत्मलक्ष्य को हस्तगत किया। साठ लाख वर्षों का कुल आयुष्य भोग कर प्रभु ने सम्मेद शिखर पर्वत पर छह हजार मुनियों के साथ अनशन किया और निर्वाण को उपलब्ध हो गए। ‘मंदर' प्रमुख भगवान के 57 गणधर थे। -त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र विमल मुनि एक अतिशय ज्ञानी मुनि। (देखिए-विजय-विजया) विमलवाहन ___ शतद्वार नगर के एक धर्मात्मा राजा। एक बार उन्होंने अत्युच्च भावों से धर्मरुचि नामक मासोपवासी अणगार को आहार दान कर महान पुण्य का संचय किया और जन्म-मरण परम्परा को सीमित किया। विमलवाहन नरेश ही भवान्तर में साकेत के युवराज वरदत्त के रूप में जन्मे । (देखिए-वरदत्त कुमार) -विपाक सूत्र द्वि. श्रु./ धवला टीका विमलशाह (मंत्री) ग्यारहवीं सदी का गुजरात के सोलंकी नरेश भीमदेव प्रथम का मंत्री। विमलशाह श्रीमाल जाति का जैन श्रावक था। वह राज्य का सर्वाधिक धनी और प्रतिष्ठित पुरुष था। गुजरात नरेश ने उसे मंत्री और सेनानायक के दो-दो उच्च पदों पर प्रतिष्ठित किया था। विमलशाह जाति से भले ही ओसवाल वणिक था, पर उस युग में उसके शौर्य की गाथाएं दिग्-दिगन्तों में व्याप्त हुई थीं। उसके नेतृत्व में महाराज भीम ने कई युद्धों में विजय प्राप्त की। गजनी की सीमाओं तक जाकर विमलशाह ने वैजयंती पताकाएं फहराई थीं। विमलशाह की धर्मनिष्ठा भी पराकाष्ठा की थी। अरिहंत देवों के प्रति उसके हृदय में सुदृढ़ अनुराग था। आबू पर्वत पर स्थित स्थापत्य का बेजोड़ प्रतीक पावन आदीश्वर जिनालय का निर्माण विमलशाह ने ही कराया था। यह जिनालय 'विमल बसही' भी कहलाता है। इस मंदिर का निर्माण सन् 1032 में हुआ था। -प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएं ... जैन चरित्र कोश... - 557 ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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