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________________ नाम अजपाल था और वह अदूरदर्शी तथा मन्दबुद्धि था। मुनि बालचन्द्र से उसकी अंतरंगता थी। बालचन्द्र ने अजपाल के कान भर दिए और अजपाल ने षड्यन्त्र रचकर आचार्य रामचन्द्र का वध करा दिया। कानों के कच्चे एक राजा ने भले ही आचार्य रामचन्द्र को देह से अतीत कर दिया, पर अपने अमर और उत्कृष्ट साहित्य में वे सदैव जीवित हैं। -प्रबंध चिंतामणि रामरक्षिता (आर्या) आर्या रामरक्षिता का समग्र जीवन वृत्त काली आर्या के समान जानना चाहिए। विशेषता इतनी है कि आर्या रामरक्षिता का जन्म राजगृह नगर में हुआ, तथा मृत्यु के पश्चात् वह ईशानेन्द्र महाराज की पट्टरानी के रूप में जन्मी। (देखिए-काली आया) __-ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु, वर्ग 10, अ. 4 रामा (आर्या) आर्या रामा का समग्र जीवन वृत्त काली आर्या के समान वर्णित है। अंतर इतना है कि रामा आर्या का जन्म राजगृह नगरी में हुआ और कालधर्म के पश्चात् वह ईशानेन्द्र की पट्टमहिषी के रूप में जन्मी। (दखिए-काली आया) -ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु., वर्ग 10, अ. 3 रामादेवी भगवान सुविधिनाथ की जननी। (देखिए-सुविधिनाथ तीर्थंकर) रावण लंका का राजा जो दशानन, दशकंधर आदि नामों से भी ख्यात था। राक्षस वंशीय रावण के पिता का नाम रत्नश्रवा और माता का नाम केकसी था। बाल्यकाल से ही उद्धत प्रकृति का रावण जब बहुत छोटा ही था तभी उसने एक दिन अपने प्रपितामह का नवमाणिक हार उठाकर अपने गले में डाल लिया जिसमें प्रतिबिम्बित होकर उसके दस मुख दिखाई देने लगे। ऐसे वह दशमुख और दशानन कहलाने लगा। रावण बहुत पराक्रमी था और उसी के बल पर उसने अपना साम्राज्य तीन खण्डों पर स्थापित कर लिया था। वह प्रतिवासुदेव कहलाया। ___ मन्दोदरी रावण की पत्नी थी। विभीषण और कुंभकरण रावण के भाई थे। इन्द्रजीत, मेघवाहन आदि उसके कई शक्तिशाली पुत्र थे। चन्द्रनखा जो सूर्पणखा नाम से प्रसिद्ध हुई रावण की बहन थी। रावण में जहां कई अवगुण थे वहां एक विशेष गुण यह भी था कि वह किसी भी स्त्री को उसकी अनुमति के बिना स्पर्श नहीं करता था। सूर्पणखा के वाग्जाल में फंसकर रावण राम की भार्या सीता के रूप पर मोहित हो गया और उसने छलपूर्वक सीता का हरण कर लिया। फलस्वरूप उसे श्रीराम का प्रतिरोध झेलना पड़ा। रावण को अपने बल पर घमण्ड था और वह सोचता था कि अल्प साधन और अल्प सेना के साथ राम उसका कुछ भी अहित नहीं कर सकता है। पर उसका विश्वास उसका साथ न दे सका और वह परिवार और पुत्रों सहित युद्ध में मारा गया। भारतीय संस्कृति में आज भी रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है। जैन कथा साहित्य के अनुसार रावण भविष्य में सन्मार्ग का पथिक बनकर सिद्धत्व प्राप्त करेगा। -त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र, पर्व रुक्मी महाराज भीम का पुत्र और रुक्मिणी का सहोदर। ... 492 ... ... जैन चरित्र कोश ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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