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________________ समाधान किया गया । युधिष्ठिर इन्द्रप्रस्थ के राजा बने और शीघ्र ही अपने सुशासन से वे विश्व में विख्यात बन गए। युधिष्ठिर की ख्याति भला दुर्योधन को कैसे स्वीकृत हो सकती थी । उसने अपने मामा शकुनि से मिलकर द्यूत का षडयन्त्र रचा और युधिष्ठिर को द्यूत का आमंत्रण भेजा । युधिष्ठिर ने वह आमंत्रण स्वीकार कर लिया। शकुनि के कुटिल पासों के बल पर दुर्योधन ने युधिष्ठिर को परास्त कर दिया। युधिष्ठिर राजपाट तो हारे ही, स्वयं सहित अपने भाइयों और द्रौपदी को भी हार बैठे। ईर्ष्यालु दुर्योधन ने द्रौपदी को सभा में अपने भाई दुशासन द्वारा अपमानित कराया। इस प्रकार चचेरे भाइयों में ईर्ष्या के बीज एक महावृक्ष के रूप में बदल गए । पाण्डवों को तेरह वर्षों का वनवास मिला। सम्राट् होकर भी युधिष्ठिर को विराट के पास किंकर हो जाना पड़ा, तिरस्कार, अपमान और कष्टों के असंख्य घूंट पीने पड़े। अनेक ऐसे क्षण आए जब युधिष्ठिर असत्य का सेवन कर संभावित दुःसह कठिनाइयों से बच सकते थे, पर उन्हें सुख प्रिय न थे, सत्य प्रिय था । इसलिए वे सदैव सत्य के ही पथ पर बढ़ते रहे। कहते हैं, महाभारत के युद्ध में एक क्षण ऐसा आया जब युधिष्ठिर ने सांकेतिक असत्य का सहारा लिया। गुरु द्रोण पाण्डव सेना को तहस-नहस कर रहे थे। उन्हें रोका जाना अनिवार्य था, वरन पाण्डवों की पराजय सुनिश्चित हो चली थी। ऐसे में कूटनीति का आश्रय लेते हुए यह प्रचारित कर दिया गया कि अश्वत्थामा मारा गया है। पर इस प्रचार पर द्रोण को विश्वास न हुआ। युधिष्ठिर की सत्यवादिता पर द्रोण को विश्वास था। ऐसे में द्रोण ने युधिष्ठिर से सत्य जानना चाहा। सुनियोजित योजनानुसार अश्वत्थामा नामक हाथी का वध किया गया था । द्रोण के पूछने पर युधिष्ठिर ने कहा, हां, अश्वत्थामा मारा गया है पर तुम्हारा पुत्र अश्वत्थामा नहीं, अश्वत्थामा हाथी मारा गया है। युधिष्ठिर के प्रथम वाक्य के बोलते ही श्रीकृष्ण ने शंखध्वनि करके शेष वाक्य द्रोण के कानों तक नहीं पहुंचने दिया। इससे द्रोण शस्त्र त्यागकर शिथिल हो गए और अर्जुन ने उन पर आक्रमण कर उन्हें परास्त कर दिया। अंततः युधिष्ठिर विजयी हुए। उनका राजतिलक हुआ। सुदीर्घ काल तक उन्होंने शासन किया। अंत में संयम का वरण कर वे सुगति को प्राप्त हुए । *** 474 →→→ जैन चरित्र कोश •••
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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