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________________ (ख) भद्रा दशम् विहरमान तीर्थंकर श्री विशालधर स्वामी की जननी । (देखिए-विशालधर स्वामी) (ग) भद्रा मघवा चक्रवर्ती की जननी। -(त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र, पर्व 4, सर्ग 6) (घ) भद्रा धन्य अथवा धन्ना अणगार की माता । वह काकंदी नगरी की रहने वाली एक सुसमृद्ध सार्थवाही थी। उसके पास अब्जों की संपत्ति थी। -अनुत्तरौपपातिक सूत्र (ङ) भद्रा ___ राजगृह निवासी गोभद्र सेठ की अर्धांगिनी और शालिभद्र की माता। वह एक कुशल गृह संचालिका थी। दिखिए-शालिभद्र) (च) भद्रा ___ महाराज श्रेणिक की रानी। शेष परिचय नन्दावत् । (देखिए-नन्दा) -अन्तकृद्दशांगसूत्र वर्ग 7, अध्ययन 9 (छ) भद्रा __ अचल बलदेव की जननी। (देखिए-अचल बलदेव) (ज) भद्रा ___चम्पानगरी के धनाढ्य गाथापति मंकाई की धर्मपत्नी । (देखिए-जिनपाल) (झ) भद्रा अरणिक मुनि की माता। पुत्र मुनि को पुनः संयमारूढ़ करने वाली एक महासाध्वी। (दखिए-अरणिक) (ञ) भद्रा भगवान महावीर के अनन्य उपासक कामदेव की पत्नी और एक बारहव्रती श्राविका। (ट) भद्रा चुलनीपिता श्रमणोपासक की माता। (दखिए-चुलनीपिता) (ठ) भद्रा अयवंती सुकुमाल की जननी और धन सेठ की अर्धांगिनी। (देखिए-अयवंती सुकुमाल) (क) भरत अयोध्यापति महाराज दशरथ के पुत्र और कैकेयी के अंगजात । वे आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श राजा के साथ-साथ आदर्श पुरुष भी थे। इच्छा न होते हुए भी भाई और पिता के आदेश पर उन्होंने राजपद संभाला। राजा बनकर भी भरत ने एक संन्यासी का कठोर जीवन जीया। राम के प्रति उनके मन में अनन्य अनुराग और भक्तिभाव था। स्वभावतः भरत अन्तर्मुखी थे और उन्होंने पिता के साथ ही प्रव्रज्या लेनी चाही थी, पर विधि को यह स्वीकृत नहीं था और संयम के बदले उन्हें शासन-सूत्र संभालने पड़े। ... 382 .. ...जैन चरित्र कोश ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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