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________________ पूर्णा (आर्या) इनका समग्र परिचय कमला आर्या के समान है। (दखिए-कमला आया) -ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु., वर्ग 5, अ.9 पूषा श्रमणोपासक कुण्डकौलिक की पत्नी। (क) पृथ्वी ___ गोबर ग्राम के वसुभूति ब्राह्मण की अर्धांगिनी तथा इंद्रभूति गौतम की माता। अग्निभूति और वायुभूति भी इन्हीं के अंगजात थे। (ख) पृथ्वी भगवान सुपार्श्व की जननी। (ग) पृथ्वी ___ द्वारिका नगरी के महाराज रुद्र की पटरानी। (देखिए-स्वयंभू वासुदेव) पृथ्वी श्री प्राचीन कालीन इन्द्रपुर नगर की एक गणिका। (दखिए-अंजू श्री) पेथडशाह गुजरात प्रान्त के एक धनी और मानी जैन श्रेष्ठी। पेथडशाह उदार हृदय के स्वामी श्रावक थे। निर्धन वर्ग के प्रति उनके हृदय में विशेष करुणा भाव था। अपने द्वार से वे कभी किसी को उदास नहीं लौटाते थे। पेथडशाह परम जिनोपासक थे। एक बार उन्होंने गिरनार तीर्थ की ससंघ यात्रा की थी, जहां उनकी दिल्ली के श्रावक शिरोमणि पूर्णचन्द से भेंट हुई थी। पूर्णचन्द दिगम्बर जैन थे और पेथडशाह श्वेताम्बर जैन थे। दोनों श्रावकों का ससंघ मधुर सम्मिलन तीर्थ स्थल पर हुआ था। पोइणी आर्या वी.नि. की चतुर्थ शताब्दी की साध्वी संघ की प्रमुखा। हिमवन्त स्थविरावली में उल्लेख है कि श्रुत-संरक्षा के लिए कुमारगिरि पर्वत पर महाराज खारवेल द्वारा जो बृहद् श्रमण सम्मेलन आहूत किया गया था, उसमें तीन सौ साध्वियों के साथ आर्या पोइणी भी सम्मिलित हुई थीं। ____'पोइणी' शब्द का संस्कृत रूपान्तर 'पोतिनी' बनता है। पोतिनी अर्थात् जहाज। आर्या पोइणी भव्य जनों को संसार समुद्र से पार उतारने वाले जहाज के तुल्य थी। -हिमवन्त स्थविरावली पोक्खली सावत्थी नगरी निवासी एक प्रसिद्ध श्रमणोपासक, भगवान महावीर के वचनों पर अनन्य आस्थाशील और शंख श्रावक का अंतरंग मित्र । (देखिए-शंख) पोटिलदेव (देखिए-पोटिल्ला) ... 348 . - जैन चरित्र कोश ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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