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________________ मुनि भिक्षा लेकर, नगर से बाहर निकले वैसे ही उसका वध कर दिया जाए। सैनिकों ने राजाज्ञा का पालन किया। परम समता भाव में लीन वध परीषह से गुजरकर मुनि केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष में जा विराजे। ___ एक पक्षी मुनि का रक्तरंजित रजोहरण लेकर उड़ा तो वह उसके मुख से छूटकर राजमहल की छत पर गिरा। भाई के रजोहरण को पहचानकर जयश्री दुराशंका से कांप उठी और विलाप करने लगी। रहस्य ज्ञात कर राजा कीर्तिधर भी महा-प्रायश्चित्त में डूब गया। मुनि के शव के पास जाकर उसने गहन पश्चात्ताप किया। उसके भाव ऐसे सुनिर्मल बने कि उसे भी केवलज्ञान प्राप्त हो गया। जयश्री भी विरक्त होकर साधनाशील बन गई। ...222 - -- जैन चरित्र कोश ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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