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________________ मुनि के वचन सुनकर राजा की सद्बुद्धि जाग्रत हो गई। उसने महासती कमला को मुक्त कर दिया 7और उसके चरणों में गिर कर क्षमा मांगने लगा। उसने उसे भगिनी का पद दिया और आश्वासन दिया कि वह उसे शीघ्र ही उसके पति की शरण में पहुंचा देगा। उसने अपने वचन के अनुरूप पूर्ण बहुमानपूर्वक कमला को उसके पति के पास पहुंचा दिया और अपने अक्षम्य अपराध के लिए राजा रतिवल्लभ से क्षमा मांगी। महासती कमला ने अंतिम अवस्था में प्रव्रज्या धारण कर सद्गति प्राप्त की। -शीलोपदेशमाला (ग) कमला (आर्या) पुरुषादानीय प्रभु पार्श्वनाथ के समय नागपुर नाम का एक नगर था। उस नगर में कमल नाम का एक धनी सार्थवाह रहता था। उसकी पत्नी का नाम कमलश्री था। उसकी एक पुत्री थी, जिसका नाम कमला था। एक बार नागपुर नगर के बाह्य भाग में स्थित सहस्राम्रवन नामक उद्यान में प्रभु पार्श्वनाथ अपने शिष्य समुदाय के साथ पधारे। विशाल परिषद् प्रभु का उपदेश सुनने के लिए उद्यान में एकत्रित हुई। कुमारी कमला भी उस परिषद् में उपस्थित थी। प्रभु की आत्मकल्याणकारी देशना को सुनकर कमला को संसार से वैराग्य हो आया। माता-पिता की आज्ञा प्राप्त कर वह प्रभु के श्रमणी संघ में सम्मिलित हो गई। पुष्पचूला आर्या के सान्निध्य में उसने एकादश अंगों का अध्ययन किया और तप-संयम में रमण करती हुई विचरने लगी। कालांतर में काली आर्या की तरह कमला आर्या भी शरीर-बकुशा बन गई और अंतिम समय में विराधक अवस्था में मृत्यु को प्राप्त कर वह वाणव्यंतर देवों के स्वामी पिशाचेन्द्र की अग्रमहिषी के रूप में जन्मी। उसने भी काली देवी के समान ही भगवान महावीर की धर्मसभा में नाट्यविधि का प्रदर्शन किया। ___ गणधर गौतम के प्रश्न के उत्तर में तीर्थंकर देव महावीर स्वामी ने कमला देवी का इत्तिवृत्त प्रकट किया और स्पष्ट किया कि वह देवलोक से च्यवकर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगी। वहां संयम की निरतिचार आराधना द्वारा मोक्ष प्राप्त करेगी। -ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु., वर्ग 5, अ. 1 कमलावती रानी राजा इक्षुकार की रानी। (देखिए-इक्षुकार) करकण्डु ये प्रत्येकबुद्ध थे। प्रत्येकबुद्ध वह होता है, जो किसी घटना अथवा दृश्य को देखकर स्वयं प्रतिबुद्ध होकर संयम धारण करे। विचित्र घटनाक्रमों से गुजरकर करकण्डु एक पराक्रमी राजा बना। राजा बनने तक उसे अपने वास्तविक माता-पिता का ज्ञान नहीं था। चाण्डाल-गृह में पलने से वह स्वयं को चाण्डालपुत्र ही मानता था। वस्तुतः वह जन्म से ही राजकुमार था, पर अशुभ कर्मों के कारण उसका बाल्यकाल अत्यन्त कष्टप्रद स्थितियों में बीता। उसका सम्पूर्ण परिचय निम्नोक्त है___अंगदेश की राजधानी चम्पानगरी में महाराज दधिवाहन राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम पद्मावती था, जो महाराज चेटक की पुत्री थी। पद्मावती गर्भवती हुई। गर्भ प्रभाव से उसे एक विचित्र दोहद उत्पन्न हुआ कि वह महाराज की वेशभूषा में हाथी पर बैठे और स्वयं महाराज उस पर छत्र तानें। इस प्रकार वह वन-विहार को जाए। संकोचवश इस दोहद को छिपा लेने से पद्मावती दुर्बल होने लगी। राजा ने जोर देकर पूछा तो संकुचाते हुए रानी ने अपने हृदय की बात कह दी। राजा ने मुस्कराते हुए इसे सहज ही पूर्ण करने ... जैन चरित्र कोश ... ...87 ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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