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________________ खोजती अग्नि पवित्र मानी गई है उसे फूंककर बुझाना जन्मदिन पर दिया (मोमबत्ती) बुझाना हमारी परंपरा नहीं है। हमारी परंपरा नहीं है मन्दिर में भी अखंड दिपक को प्रगट स्वने हेतु व्यवस्था करते है। केक काटना हमारी संस्कृति नहीं हमारी संस्कृति जोड़ने की है। नवरात्रि घर का पुत्र मरने पर कहते है दिपक-चिराग बुझ का विचित्र चित्र गया। जन्मदिन पर दिया बुझाकर, केक काटकर हम पूर्व काल में सिर्फ बहनों के द्वारा अपशूकन क्यों करें? देवी के फोटूया प्रतिमा के सामने शिस्तपूर्वक धार्मिक आयोजन, तीर्थयात्रा, दानादि संकल्प शालिन वस्रों में गरबे-रास खेले जाते थे। से हमें जन्मदिन सफल करना है। किंतु आज पूर्णरूप से जिसमें विकृति छा या....फिर? गयी है ऐसी नवरात्रि से हमें बचना है, सोंचे! उदट वस्रों में युवक-युवतियाँ रात्रि में साथ में नाचते है जो बिलकुल अनुचित हैं। विलासी वातावरण, विजातिय का संग और अभद्रउट वेष ऐसे वातावरण में आप अपने संतानों को भेज रहे हो तो सोचिए पवित्रता अपने संतान टिका पाएंगे नवरात्रि लवरात्रि बनकर कहीं हमें भवयात्री न बना 31 दिसम्बर पाप का अंबर-दुर्गति में नंबर जावे? 14 जनवरी-मकर संक्रान्ति थर्टी फस्ट के रूप में अभी-अभी नया भारत देश में प्रचलित बच्चे से लगाकर बड़े तक छत हुआ यह दिन अंग्रेजों का त्यौहार है हमारा नहीं। प्रचूर पर चढ़कर पतंग उड़ाने का पापलीला जिसमें बढ़ रही हो ऐसे दिन हम क्यों मनाये आनन्द लूटते है कि यह डी.जे. साउण्ड पार्टी में मौज-मस्ती, उत्तेजित आनंद कई पक्षीयों के जीवन करनेवाला पूरा वातावरण तथा मध्यरात्रि में जीने का आनन्द लूट लेता है। सबकुछ करने की दी जाती 1 मिनिट की छूट काँच से तीक्ष्ण बनी डोरी-धागा ... यह हमारी पवित्रता को लूट रहा है मूक पक्षीयों के उड़ान मार्ग में ... सोचिए ? अपन यह दिन अप्रेल फूल अवरोध सर्जता है... पंख-गले आदि मना सकते है क्या ? थी प्रभु महावीर ने कट जाते है, पांव में पंजे में धागा फँसने पर। अठारह पापस्थानक बताये है । नीचे गिर जाते है जहाँ मूक जीवों की कुते आदि जिसमें दूसरा पापस्थानक है मृषावाद । प्राणी द्वारा जान चली जाती है। इन पैसों से। अर्थात् झूठ बोलना। इस दिन मजाक में झूठ। अगर जीवदया की जावे तो ? बोला जाता है फिर भी वह असत्य भाषण सोचे! होने से पाप है। कभी कभार आघात जनक वचन भारभूत बन जाते है। दो देवों में आकर। स्नेह परिक्षा हेतु लक्ष्मण को राम के मरने के। समाचार दिये और भातृप्रेम से लक्ष्मण की वही आयु पूर्ण हो गई। अत: महाअनर्थकारी असत्य वचन का त्याग कर सत्यहितकारी-प्रिय वचन बोलना चाहिए। क्यों ००० ! अप्रेल फूल नहीं करोंगे ना ? एक प्रश्नावली COY NPRAPE APRIL
SR No.016126
Book TitleAdhyatmik Gyan Vikas Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhratnavijay
PublisherRushabhratnavijay
Publication Year
Total Pages24
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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