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________________ __ शब्दमाला . ३१ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ अहिकान्त पुं ११०६ पवन अहो अ. १५४२ (शे. २००) आश्चर्य वाचक अहिकाय पुं १३१५ सर्प, शरीर शब्द अहिकोश पुं १३१५ सापनी कांचळी अहोरात्र पुं न. १३८ रातदिवस अहिच्छत्र स्त्री ९६० एक देशनुं नाम । अह्नाय अ. १५३० जलदी अहिच्छत्र पुं. ११९७ एक प्रकारनुं वनस्पति • आ . वगेरेथी उत्पन्न थतुं झेर, स्थावर विष |आ स्त्री २२६ (शि. १५) लक्ष्मी अहित पुं ७२९ शत्रु आकर पुं १०३६ खाण अहितुण्डिक पुं ४८८ गारुडी, साप आकर पुं १४१२ (शि. १२७) समूह पकडनार आकल्प पुं ६३५ वस्त्र (अहित्वच ) स्त्री १३१५ सापनी कांचळी | आकल्य पुं ४६३ रोग (अहिदंष्ट्रा) स्त्री १३१५ ताळवामा रहेली | | आकार पुं २६१ (शे. ८३) बोलावq सर्पनी दाढ. | आकार पुं १५१३ हृदयनो भाव जणावनार अहिपर्यत पुं २०० (शे ४३) शंकर . ईशारो अहिभय न. ३०१ राजाओने आकारगूहन न. ३१४ (शे. ९०) आकार - स्वपक्षथी थतो भय .. छुपाववो (अहिभुज् ) पुं (१४ परि) मोर, भोज्य- | आकारगोपन न. ३१४ आकार छुपाववो भोजक भाव संबंधथी बनेल शब्द | आकारण न. २६१ बोलावq अहिभुज् पुं. २३१ (शे ८०) गड पक्षी | (आकारणा) स्त्री २६१ बोलावq अहिभृत् पुं १९९ शंकर. आकालिकी स्त्री ११०५ वीजळी अहिरिपु पुं. १४ मोर, वध्यवधक भावथी आकाश न. १६३ आकाश बनेल शब्द आकाशचमस पुं १०५ (शे. १३) चन्द्र अहिर्बुध्न पुं १९७ शंकर | (आकाश-स्फटिक) द्वि.व. पुं १०६८ अहीरणी पुं १३०४ (शे. १८७) बे . सूर्यकांत अने चंद्रकांत मणि मुखवाळो सर्प, राजसर्प , आकीर्ण न. १४७३ भरपूर अहर्बुध्नदेवता स्त्री ११४ उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र | आकुल न. १४७२ भरपूर अहो अ. १५३७ (शि. १३८) आश्चर्य | आकूत न. १३८३ अभिप्राय वाचक शब्द | आक्रन्द पुं ७९९ लडाई, युद्ध
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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