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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३५८ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्दं / लिंग / श्लोक / अर्थ स्तम्बेरम पुं १२१७ हाथी
स्थगन न. १४७७ आच्छादन स्तम्भ पुं ३०५ जडता
स्थगित न. १४७६ ढंकायेलु स्तम्भ पुं.१०१४ थांभलो
स्थगी स्त्री ७१८ पानदानी स्तरी स्त्री ११०४ धूमाडो
| स्थण्डिल न. ८२४. यज्ञनी असंस्कृत भूमि स्तव पुं २६९ स्तुति
स्थण्डिलशायिन् पुं ८१० भूमि पर सूई स्तिमित पुं १४९२ भीनुं
रहेनार संन्यासी 'स्तुभ' पुं १२७५ बकरो • स्थपति पुं ८१८ बृहस्पतिसव नामनो यज्ञ स्तुति स्त्री २६९ स्तुति
. करनार स्तुतिव्रत पुं ७९५ स्तुतिपाठक स्थपति पुं ९१७. सुथार स्तेन पुं न. ३८१ चोर
स्थपुट न. १४६८ विषम अने उन्नत स्तेय न. ३८३ चोरी
स्थल न. ९४० अकृत्रिम भूमि स्थान स्तन्य न. ३८३ (शि. २६) चोरी ' स्थलशृङ्गाट पुं ११५६ गोखरूं स्तोक न. १४२६ अल्प, थोडं (स्थला) स्त्री ९४० कृत्रिम भूमि स्तोकक पुं १३२९ चातक पक्षी स्थली स्त्री ९४० पाणी विनानी अकृत्रिम स्तोत्र न. २६९ स्तुति ..
भूमि स्तोम पुं ८२० यज्ञं
| स्थविर पुं २११ ब्रह्मा स्तोम पुं १४११ समूह
स्थविर पुं ३३९ घरडो, वृद्ध स्त्यान न. १४९४ थीजेतुं घी वगेरे स्थाणु पुं १९५ शंकर स्त्री स्त्री ५०३ स्त्री
स्थाणु पुं न. ११२२ वृक्षनुं दुंदुं स्त्री स्त्री ७३८ परस्त्रीगमन, राजानुं त्रीजुं स्थाण्डिल पुं ८१० भूमि उपर व्यसन
सूई रहेनार संन्यासी स्त्रीचिह्न न. ६१० योनि
स्थान (ब.व.) न. ७७७ धनुर्धारीना पांच स्त्रीदेहाधं पुं. २०० (शे. ४५) शंकर
आसनो स्त्रीधर्म पुं ५३६ स्त्रीरज
स्थान न. ९८८ स्थान स्त्रीधर्मिणी स्त्री ५३५ रजस्वला स्त्री स्थान न. ९९१ घर स्त्रीपुंस (द्वि.व.) पुं ५३८ स्त्री पुरुषy | स्थानक न. १०९५ क्यारो
जोडलं ।स्थानाङ्ग नं. २४३ त्रीचं अंग सूत्र