________________
अभिधानचिन्तामणिनाममाला • ३४०
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ
समुदाय पुं १४११ समूह, समुदाय समुद्ग पुं १०१५ दाभडो समुद्र पुं १०७३ दरियो
. (समुद्र) पुं ८७४ दश शंकु प्रमाण संख्या (समुद्रकाश्चि) स्त्री ९३८ पृथ्वी समुद्रदयिता स्त्री १०८० नदी समुद्रनवनीत न. ८९ (शि. ७) अमृत समुद्रनवनीत न. १०५ ( शि. ९) चन्द्रमा (समुद्ररशना ) स्त्री ९३८ पृथ्वी (समुद्रवसना ) स्त्री ९३८ पृथ्वी समुद्रविजय पुं ३८ श्री नेमिनाथ
भगवानना पिता
समुपजोष न. १५२८ (शि. १३७) आनंदथी, खुशीथी
समूर पुं १२९४ एक जातनुं हरण 'समूरु' पुं १२९४ एक जातनुं हरण समूह पुं १४११ समुदाय, ढगलो समूहनी स्त्री १०१६ सावरणी (समृद्ध) पुं ३५७ धनाढ्य, सुखी समोलूक न. १०४१ (शे. १६०) सीसुं सम्पत्ति स्त्री ३५७ संपदा, वैभव सम्पद् स्त्री ३५७ संपदा, वैभव सम्पराय पुं न. ७९८ युद्ध, लडाई (सम्पा) स्त्री ११०४ वीजळी 'सम्पाक' पुं ११४० गरमाळो सम्पातपाटव न. १४७० छलांग,
खूब ऊंचेथी कूंदी पडवुं
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ सम्पुट पुं १०१५ दाभडो सम्पृक्त पुं १४६९ मिश्रित, जोडायेल सम्प्रति पुं ५३ गई उत्स. ना २४मा तीर्थंकर सम्प्रति अ. १५३० हाल, हमणा सम्प्रदाय पुं ८० गुरु-परंपरागत उपदेश सम्प्रधारणा स्त्री १३७४ योग्यायोग्यनी परीक्षा
सम्प्रयोग पुं ५३७ मैथुन, कामक्रीडा सम्प्रहार पुं ७९६ युद्ध, लडाई सम्प्रैष पुं १५२० आज्ञा, आदेश, हुकम सम्फाल पुं १२७७ घेंटो
सम्फुल्ल न. ११२८ खीलेलुं (पुष्प) सम्फेट पुं ७९९ ( शि. ७०) युद्ध, लडाई 'सम्बाकृत' न. ९६८ बे वार खेडेलुं खेतर सम्बाध पुं १५०४ गीरदी सम्बोधन न. २६१ बीजाने बोलाववुं ते सम्भव पुं २६ (शि. २) त्रीजा
तीर्थंकर भगवान सम्भाष पुं २७४ वातचीत करवी ते सम्भूतविजय पुं ३३ चोथा श्रुतकेवली सम्भृत पुं ११०७ (शे. १७१) वायु,
पवन
सम्भेद पुं १०८६ ( शे. १६८) नदीनो संगम सम्भोग पुं ५३७ मैथुन, कामक्रीडा सम्भ्रम पुं ३२२ उतावळ, भ्रान्ति सम्मद पुं ३१६ मननी प्रसन्नता सम्मर्द पुं ७९७ युद्ध, लडाई