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________________ __ . शब्दमाला . २९३ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ वाहीक पुं १२३५ (शि. ११०) वाह्लीक | विक्रम पुं ७३९ पराक्रम देशना घोडो विक्रय पुं ८७२ वेंचाण, वकरो वि पुं १३१६ पक्षी विक्रयिक पुं ८६८ वेचनार विकच न. ११२७ खीलेलु (पुष्प) विक्रयिन् पुं ८६८ वेंचनार विकचा स्त्री २०५ (शे. ५८) पार्वती | विक्रान्त पुं ३६५ सुभट, शूरवीर विकट न. १४३० विशाल, मोटुं | विक्रायक पुं ८६८ वेंचनार (विकटघोण) पुं ४५२ तीक्ष्ण नाकवाळो | विक्रिया स्त्री १५१८ परिणाम, विकार, विकत्थन न. २७० फोगट वखाण फेरफार विकराला स्त्री २०५ (शे. ५९) पार्वती | विक्रुष्ट न. २६९ कठोर वचन विकर्णिक पुं ९५८ काश्मीर देश विक्रेय न. ८७१ खरीदवा योग्य विकर्तन पुं ९७ सूर्य विक्लव ४४८ भयभीत, मुंझायेलो विकलाङ्ग पुं ४५५ पांगळो विख पुं ४५० नाक विनानो विकल्प पुं १३७० (शि. १२४) मननो | विखु पुं ४५० नाक विनानो संकल्प, मननो व्यापार | विगतद्वन्द्व पुं २३५ (शे. ८२) बुद्ध, सुगत विकसित न. ११२८ खीलेलं (पुष्प) | विगान न. २७० लोकापवाद विकस्वर पुं ३५० विकसेल, खीलेल . | विग्र पुं ४५० नाक विनानो . विकराला स्त्री २०५ (शे. ५९) पार्वती | विग्रह न. ५६३ शरीर विकार पुं १५१८ (शि. १३७) परिणाम, | विग्रह पुं७३५ राज्यने उपयोगी ६ गुण . फेरफार पैकी एक, लडाई विकाल पुं १४० सायंकाल . विग्रह पुं ७९६ युद्ध, लडाई विकासिन् पुं ३५० विकसेल, खीलेल | विग्रह पुं १४३२ (शि. १२८) शब्दनो विकिर पुं १३१६ पक्षी विस्तार विकुर्वाण पुं ४३५ आनंदी, प्रसन्न मनवाळो | विघस पुं ८३४ यज्ञमां खातां वधेलुं विकूणिका स्त्री ५८० नाक, नासिका विज पुं १५०९ विघ्न, अंतराय विकृत पुं ४५९ रोगी | (विघ्नराज) पुं २०७ गणेश, विनायक विकृतिस्त्री १५१८ (शि. १३७) परिणाम, विकार | विघ्नेश मुं २०७ गणेश, विनायक विक्क पुं १२२० वीश वर्षनो हाथी I(विचका) स्त्री १२०३ जळो
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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