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________________ अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २६० शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ मृगनाभि स्त्री ६४४ कस्तूरी मृणाल न. ११६५ कमलनी नाल. मृगनाभिजा स्त्री ६४३ कस्तूरी | मृणालिनी स्त्री ११६० कमलनो वेलो मृगपति पुं १२८४ सिंह मृत पुं ३७४ मरण पामेलो, मरेलो मृगमद पुं ६४४ कस्तूरी मृत न. ८६६ मांगवाथी मळेलु मृगया स्त्री ७३८ शिकार (सात व्यसनमां मृतक न. ५६५ मडएं, कलेवर पहेलु व्यसन) . (मृतप) पुं९३३ चंडाल मृगया स्त्री ९२७ शिकार . (स्मशाननुं काम करनार) मृगयु पुं ९२७ शिकारी, पारधी मृतस्नान न. ३७५ मरेलानुं स्नान मृगरोमज न. ६७० हरणना रुंवाटामांथी | मृतस्वमोक्तृ पुं ७१३ कुमारपाल राजा . बनेल वस्त्र (अपुत्रीयना धन लेवाना पारंपारिक रिवाजने (मृगलाञ्छन) पुं १०५ चन्द्रमा | छोडी देनार) मगवधाजीविन पुं ९२७ शिकारी, पारधी | मति स्त्री ३२३ मृत्यु, मरण मृगशिरस् पुं न. १०९ मृगशिर, नक्षत्र | मृत्तिका स्त्री ९४० माटी मृगशीर्ष पुं न. १०९ मृगशिर, नक्षत्र | (मृत्तिका) स्त्री १०५६ फटकडी मृगाक्षी स्त्री ५०६ मृगना जेवी चपल मृत्यु पुं १८४ यमराजा आंखवाळी स्त्री | मृत्यु पुं स्त्री ३२३ मृत्यु मृगादन पुं १२८५ नानो वाघ, . मृत्युञ्जय पुं १९६ शंकर . जरख (चित्तो) मृत्सा स्त्री ९४० सारी माटी मृगारि पुं १२८४ सिंह (मृत्सा) स्त्री १०५६ फटकडी 'मृगाशन' पुं १२८५ सिंह मृत्स्ना स्त्री ९४० सारी माटी मृगित न. १४९१ शोधेनुं (मृत्स्ना) स्त्री १०५६ फटकडी मृगेन्द्रासन न. ६१ आकाशमां स्फटिकमय | मृद् स्त्री ९४० माटी सिंहासन होय ते तीर्थंकरनो ३४ पैकी १८मो | मृद् स्त्री १०५६ फटकडी अतिशय मृदङ्कुर पुं १३४१ हारीत पक्षी मृजा स्त्री ६३६ साफ कर | मृदङ्ग पुं २९३ मृदंग, नरघा मृड पुं १९७ शंकर | मृदाह्वया स्त्री १०५६ फटकडी मृडानी स्त्री २०३ पार्वती | मृदु पुं १३८७ कोमल
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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