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________________ शब्दमाला • २३९ .. शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ · शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ भूमि स्त्री ९३५ पृथ्वी । | भृगु पुं १०३२ पर्वत, उंचुं स्थान, भूमिका स्त्री ३२७ नाटकमां ते ते जातनो शिखर स्थान स्त्री वगेरेनो वेष | भृगु पुं १२० (शे. १५) शुक भूमिलेपन न. १२७२ गायनुं छाण भृङ्ग पुं १२१२ भमरो भूमिस्पृश् पुं ८६४ वैश्य भृङ्ग पुं १३३३ मस्तकचूड, काकाकौआ भूयस् न. १४२६ बहु, घj | भृङ्गरज पुं ११८७ भांगरो भूयस् अ. १५३१ वारंवार । भृङ्गराज पुं ११८७ भांगरो भूयिष्ठ न. १४२६ बहु, घj भृङ्गार पुं ७१८ सोनानी झारी, (कलश) भूरि न. १०४५ सोनुं भृङ्गारिका स्त्री १२१६ तमरु, भूरि न. १४२६ बहु, घj . एक जात, जंतु . भूरि पुं २०० (शे. ४६) शंकर (भृङ्गारी) स्त्री १२१६ तमरु, भूरिमाय पुं १२९० शियाळ एक जातनुं जंतु भूरिवेतस पुं ९५४ बहु नेतर वाळो देश भृङ्गिन् पुं २१० शंकरनो ,गीगण भूर्ज पुं ११४४ भोजपत्र, वृक्ष | भृङ्गिरिटि पुं २१० शंकरनो भंगीगण भूलता स्त्री १२०३ अळसीया, जमीनना | भृङ्गिरीटि पुं २१० शंकरनो शृंगीगण . कीडा भृत् पुं द्द(प.) आ शब्द लगाडवाथी धारक भूषण पुं द(प.) धार्यवाचक शब्द साथे वाचक शब्द बने छे भूषण शब्द जोडवाथी धारक. वाचक शब्द भृतक पुं ३६१ पगारदार बने उदा. शशिभूषण | भृति स्त्री ३६२ पगार, मूल्य, मजूरी भूषण पुं न. ६४९ अलंकार, घरेणा भृतिभुज् पुं ३६१ पगारदार भूष्णु पुं ३८९ उत्पन्न थनार, होनार | भृत्य पुं ३६० चाकर भूस्पृश् पुं ३३७ मनुष्य भृत्या स्त्री ३६३ पगार, मूल्य. भृकुंस पुं ३२९ स्त्रीवेष धारणकरनार नट | भृश न. १५०५ घणुं, बहु भ्रुकुटि पुं ४३ नमिनाथ भ.ना शासनदेव | भृष्ट न. ४१२ सेकेलं अन्न भृकुटि स्त्री ४४ चन्द्रप्रभम.नी शासनदेवी | भेक पुं १३५४ देडको भृकुटि स्त्री ५७९ क्रोध वगेरेथी वांकी | भेड पुं १२७७ घेटो . भ्रमर थाय ते . भेद पुं७३६ भेद, चार उपाय पैकी एक उपाय
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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