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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २०४ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ पुक्कस पुं ९३३ (शि. ८२) चांडाल | पुण्यभू स्त्री ९४८ तीर्थंकर, चक्रवर्ती, पुख पुं न. ७८१ बाण- मूळ
- वासुदेव वगेरेनी भूमि, आर्यावर्त पुङ्गव पुं १४४० आ शब्द जोडवाथी | पुण्यवत् पुं ४८९ पुण्यशाळी
प्रशंसावाचक शब्द बने छे | पुण्यश्लोक पुं २१९ (शे. ६४) विष्णु, पुच्छ पुं न. १२४४ पूंछडुं
.... कृष्ण पुञ्ज पुं १४११ समूह
| पुत (द्वि.व.) पुं न. ६०९ कुला, धगडा पुट पुं १०१५ (शि. ८८) दाबडी, डबली | पुतारिका स्त्री ६०६ (शे. १२७) नाभि, डूंटी पुटक न. ६४३ (शे. १३२) जायफळ | पुत्तिका स्त्री १२१४ बगतरां पुटकिनी स्त्री ११६० कमळनो वेलो । | पुर्व पुं ५४२ पुत्र . . पुटभेद पुं १०८८ नदीनो वळांक, जळy | पुत्र (द्वि.व.) ' ५६० दीकरो, दीकरी बन्ने
चक्राकारे फरवू, वमळ | पुत्रपुत्र पुं ५४४ पौत्र, पुत्रनो पुत्र पुटभेदन न. ९७१ नगर ' | पुत्रिका स्त्री १०१४ कठपूतळी । (पुटभेदन) न. ९७२ ५० गामोमां श्रेष्ठ | पुत्री स्त्री २०५ (शे. ६१) पार्वती पुण्डरीक पुं १७० आग्नेयी दिशानो दिग्गज | पुत्री स्त्री ५४२ पुत्री (हाथी)
पुद्गल पुं ५६४ शरीर पुण्डरीक न. ११६२ श्वेत कमळ पुनर् अ. १५४२ (शे. २०१) फरीथी पुण्डरीक पुं १२८५ वाघ
(अवधारणवाचक) पुण्डरीकाक्ष पुं २१७ विष्णु, कृष्ण | पुनःपुनर् अ. १५३१ वारंवार पुण्ड पुं ६५३ तिलक, चांदलो, टीलं | पुनर्नव पुं ५९४ नख पुण्ड्र पुं ११९४ शेरडीनो एक प्रकार | 'पुण्ड्रक' पुं ११४७ माधवीलता पुनर्भू स्त्री ५२५ फरीथी परणेली स्त्री (पुण्ड्रक) पुं ११९४ शेरडीनो एक प्रकार | पुनर्वसु (द्वि.व.) पुं ११० पुनर्वसु नक्षत्र पुण्य न. १३७९ सुकृत
पुनर्वसु पुं २१६ विष्णु, कृष्ण पुण्य न. १४३५ पवित्र, निष्पाप पुनर्वसु पुं ८५२ कात्यायन पुण्यक न. ८४३ नियम, व्रत | पुन्नाग पुं ११३४ ते नामे एक फूल झाड पुण्यजन पुं १८७ राक्षस
पुर् स्त्री ९७१ नगर पुण्यजन पुं १९४ यक्ष
| पुर न. ५६४ शरीर
नख