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शब्दमाला • १५५ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ · शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ दिवा अ १५३१ दिवस
दीदिवी पुं ११९ (शे. १५) गुरु (बृहस्पति) दिवाकर पुं ९७ सूर्य
| दीधिति स्त्री १०० प्रकाश, सूर्यना किरण दिवाकीर्ति पुं ९२३ हजाम
दीन पुं ३५८ (शे. ९४) गरीब दिवाकीर्ति पुं ९३३ चांडाल दीप पुं न ६८६ दीवो दिवान्ध पुं १३२४ घूवड
दीपक पुं १३४२ श्येन पक्षी, सिंचानक आदि दिवापुष्ट पुं ९८ (शे. ८) सूर्य दीपन न ६४५ केशर 'दिवाभीत' पुं १३२४ घूवड
दीप्ति स्त्री ९९ किरण दिवामध्य न १३९ मध्याह्न, बपोर दीप्ति स्त्री ५०९ स्त्रीओना स्वाभाविक सात (दिवाश्रय) पुं १० (प.) देव
सात्त्विक अलंकार पैकी सातमो अलंकार दिवाह्वय पुं १४७ (शे. २२) शुकल पक्ष | दीप्ति स्त्री ७८० बाणनो तीव्र रोग दिवि पुं १३२९ (शि. ११८) चाष पक्षी | दीप्र पुं ११०० (शे.१६९) अग्नि दिवौकस् पुं १० (प.) देव
दीर्घ न १४२८ लांबु दिव्य न १०७० (शे. १६४) पाणी दीर्घकोशा स्त्री १२०६ बेइन्द्रय जंतु विशेष दिश स्त्री १६६ दिशा
दीर्घग्रीव पुं १२५५ ऊंट दिशाम्पियतम पुं २०० (शे.४८) शंकर | दीर्घजानुक पुं. १३२८ (शे. १९४) सारस पक्षी दिश्य न १६८ दिशामां उत्पन्न थयेनु दीर्घजिह पुं १३०३ नाग सर्प दिष्ट पुं १२६ काळ, समय
दीर्घदशिन् पुं ३४४ लांबो विचार करनार दिष्ट पुं १३७९ भाग्य, नसीब दीर्घनाद पुं. १२८० (शे. १८२) कूतरो दिष्टान्त पुं ३२४ मृत्यु
दीर्घनाद पुं १३२५ (शे. १९१) कूकडो दिष्ट्या अ १५२८ सम्मद, खुशीथी, सुखथी | दीर्घनिद्रा स्त्री ३२४ मृत्यु दीक्षणीयेष्टि स्त्री ८२३ सोमयाग माटे दीक्षा | दीर्घपत्रक पुं ११८७ गाजर, लसण, डुंगळी.
'. आपवा योग्य इष्टि . दीर्घपवन पुं १२१८ (शे. १७०) हाथी दीक्षा स्त्री ८२३ शास्त्रमा कहेल .. दीर्घपाद पुं १३३४ कंकपक्षी
नियमोनो संग्रह दीर्घपृष्ठ पुं १३०४ साप,नाग दीक्षित पुं ८१७ सोमयज्ञ करनार . | दीर्घसूत्र पुं ३५३ आळसु, धीमुं काम दिदिवि पुं. स्त्री ३९५ भोजन
करनार दीदिवि पुं.८७ (शे. ३) स्वर्ग । दीर्घायुस् पुं ४७९ लांबी आवरदा वाळो