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________________ आक्रीड आग्रहायण्यश्वत्थात् ...आक्रीड... - III. I. 142 देखें-सम्पृचानुरुधा० III. ii. 142 आक्रोश... -VI. iv. 61 • देखें-आक्रोशदैन्ययो: VI. iv. 61 आक्रोशे -III. iii. 45 आक्रोश = क्रोधपूर्वक चिल्लाना गम्यमान हो तो (अव तथा नि पूर्वक ग्रह धातु से कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में घञ् प्रत्यय होता है)। आक्रोशे - III. iii. 112 क्रोधपूर्वक चिल्लाना गम्यमान हो तो (नब उपपद रहते धात से स्त्रीलिङ्गकर्तभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में अनि प्रत्यय होता है)। आक्रोशे-III. iv. 25 (कर्म उपपद रहते ) आक्रोश गम्यमान हो तो (समानकर्तृक पूर्वकालिक कृञ् धातु से खमुज् प्रत्यय होता है)। आक्रोशे-VI. 1. 158 (नञ् से उत्तर) आक्रोश गम्यमान होने पर (भी अच्चत्ययान्त तथा कप्रत्ययान्त उत्तरपद को अन्तोदात्त होता है)। आक्रोशे-VI. iii. 20 आक्रोश गम्यमान होने पर (उत्तरपद परे रहते षष्ठी विभक्ति का अलुक् होता है)। आक्रोशे-VIII. iv. 47 आक्रोश गम्यमान हो तो (आदिनी शब्द परे रहते पुत्र शब्द को द्वित्व नहीं होता)। आक्रोशदैन्ययोः -VI. iv.61 (क्षि अङ्गको अण्यदर्थ निष्ठा के परे रहते) आक्रोश तथा दैन्य = दीनता गम्यमान होने पर (विकल्प से दीर्घ होता आख्यानपरिप्रश्नयोः -III. iii. 110 उत्तर तथा परिप्रश्न गम्यमान होने पर (धातु से स्त्रीलिङ्ग कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में विकल्प से इब् प्रत्यय होता है, चकार से ण्वुल भी होता है)। .. . ...आख्यानयो: - VIII. ii. 105 देखें - प्रश्नाख्यानयोः VIII. ii. 105 आख्यायाम् - IV.i. 48 (पुरुष के साथ सम्बन्ध होने के कारण जो प्रातिपदिक) स्त्रीलिङ्ग में वर्तमान हो,तथा पुंल्लिग को पहले कह चुका हो, (ऐसे अदन्त अनुपसर्जन प्रातिपदिक से ङीष् प्रत्यय होता है)। आगतः - IV. iii.74 (पञ्चमीसमर्थ प्रातिपदिक से) 'आया हुआ' अर्थ में ... (यथाविहित प्रत्यय होता है)। आगनीगन्ति -VII. iv. 65 आगनीगन्ति शब्द (वेदविषय में) निपातन किया जाता 74 आगवीन:-v.ii. 14 'आगवीन' शब्द आङ् पूर्वक गो शब्द से कर्मकर वाच्य हो तो ख प्रत्ययान्त निपातन किया जाता है। . कर्मकर= ऐसा नौकर जो गौ के बदले अर्थात् जब तक गौ वापस न कर सके सेवा करे। आगस्त्य ... -IL iv.70 देखें - आगस्त्यकौण्डिन्ययोः II. iv. 70 आगस्त्यकौण्डिन्ययोः -II. iv.70 __ आगस्त्य तथा कौण्डिन्य शब्दों से परे (गोत्र में विहित जो तत्कृत बहुवचनप्रत्यय,उसका लक हो जाता है। शेष बची अगस्त्य एव कुण्डिनी प्रकृति को क्रमशः अगस्ति और कुण्डिनच् आदेश भी हो जाते है)। आग्रहायणी... - IV. ii. 22 देखें-आग्रहायण्यश्वत्थात् IV. ii. 22 ...आग्रहायणीभ्यः -V. iv. 110 देखें - नदीपौर्णमास्या० V. iv. 110 ...आग्रहायणीभ्याम् - IV. iii. 50 • देखें- संवत्सराग्रहायणीभ्याम् IV. iii. 50 आग्रहायण्यश्वत्थात् -IV.ii. 21 (प्रथमासमर्थ पौर्णमासी शब्द से समानाधिकरण वाले) आग्रहायणी तथा अश्वत्थ शब्दों से (सप्तम्यर्थ में ठक प्रत्यय होता है)। आख्याता-I. iv. 29 - (नियमपूर्वक विद्याग्रहण में) जो पढ़ाने वाला है, वह (कारक अपादान-संज्ञक होता है)। ...आख्यातात् - IV. iii.72 देखें - दूयजब्राह्मण IV. 1.72 आख्यान ... -III. iii. 110 देखें-आख्यानपरिप्रश्नयोः III. iii. 110 ...आख्यान... - VI. 1. 103 देखें-ग्रामजनपदाख्यान VI. 1. 103
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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