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________________ अभ्यासस्य अभ्यासस्य VII. iv. 58 (यहां सन् परे रहते जो कार्य कहा है, अर्थात् जो इस ईत् आदि का विधान किया है, उनके) अभ्यास का (लोप होता है)। अभ्यासस्य - VIII. ill. 64. (सित से पहले पहले स्था इत्यादियों में अभ्यास का व्यवधान होने पर मूर्धन्य आदेश होता है तथा) अभ्यास के (सकार को भी मूर्धन्य होता है) । अभ्यासात् - VIL III. 55 अभ्यास से उत्तर (भी हन् धातु के हकार को कवगदिश होता है)। अभ्यासात् - VIII. iii. 61 अभ्यास के (इ) से उत्तर (स्तु तथा व्यन्त धातुओं के आदेश सकार को ही षत्वभूत सन् परे रहते मूर्धन्य आदेश होता है। अभ्यासे - 1. III. 71 अभ्यास बार बार करने अर्थ में (मिथ्या शब्द उपपद वाले ण्यन्त कृञ् धातु से आत्मनेपद होता है)। अभ्यासे - VIII. Iv. 53 अभ्यास में वर्तमान (झलों को चर आदेश होता है तथा चकार से जश् भी होता है ) । अभ्यासेन - VIII. 1. 64 (सित से पहले पहले स्था इत्यादियों में) अभ्यास का व्यवधान होने पर (मूर्धन्य आदेश होता है तथा अभ्यास के सकार को भी मूर्धन्य आदेश होता है ) । .. अध्याहन - III. 1. 142 देखें सम्पृचानुरुबा०] III. II. 142 अभ्युत्सादयाम् III. 1. 42 अभ्युत्सादयामकः, (प्रजनयामकः, चिकयामकः, रमयामकः, पावयांक्रियात्, विदामक्रन् शब्दों का विकल्प से) निपातन किया जाता है, (छन्द में ) । ... अभ्यो. - - III. iii. 28 देखें - निरभ्यो: III. iii. 28 ... अप्र... - III. 1. 17 देखें - शब्दवैरकलहा०] III. 1. 17 - ... अ... - III. it. 42 देखें सर्वकूल० III. II. 42 - ... अधात् - IV. iv. 118 देखें समुद्राप्रात् IV. Iv. 118 - • 56 ... अप्रे - III. 1. 32 देखें - वहाने III. I. 32 ...अप्रेषयोः ...अप्रेषयोः - III. III. 37 iii. देखें- द्यूतान्प्रेषयोः III. I. 37 अम् - II. iv. 83 (अदन्त अव्ययीभाव से उत्तर सुप् का लुक नहीं होता, अपितु उस सुप् को तो) अम् आदेश हो जाता है, (पञ्चमी विभक्ति को छोड़कर) । ..अम्... - IV. 1. 2 देखें - स्वौजसमौट् IV. 1. 2 अम् - VLL 57 (सृज् और दृशिर् धातु को कित् भिन्न झलादि प्रत्यय परे हो तो) अम् आगम होता है । अम्... - VI. 1. 90 देखें - अम्शसो: VI. 1. 90 अम् VI. III. 67 -- (खिदन्त उत्तरपद रहते इजन्त एकाच् को) अम् आगम होता है और वह अम् (प्रत्यय के समान भी माना जाता है)। अम्... - VI. Iv. 80 देखें - अम्लसो VI. iv. 80 अम अम् - VII. 1. 24 (अकारान्त नपुंसकलिङ्ग वाले अन्न से उत्तर सु और अम् के स्थान में) अम आदेश होता है। अम् - VII. 1. 28 (युष्मद् तथा अस्मद् अङ्ग से उत्तर ङे तथा प्रथमा एवं द्वितीया विभक्ति के स्थान में) अम् आदेश होता है । अम् - VII. 1. 99 (संबुद्धि परे रहते चतुर् तथा अनडुह अङ्गों को) अम् आगम होता है । अम्... - VIII. iii. 6 देखें- अपरे VIII. III. 6 ... अम... - VII. 11. 28 देखें- रुष्यमत्वरo VII. ii. 28 ... अम: देखें - तान्तन्तामः III. iv. 101 - - III. iv. 101
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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