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________________ हरितादिश्य हलदन्तात् हरितादिभ्यः -IV.i. 100 हल:-III.i. 12 (अजन्त) हरितादि प्रातिपदिकों से (अपत्य अर्थ में फक् (अळ्यन्त भृशादि शब्दों से भूभातु के अर्थ में क्यङ् प्रत्यय होता है)। प्रत्यय होता है और उन भृशादि शब्दों में विद्यमान) हलन्त ...हरिश्चन्द्रौ-VI.1.148 शब्दों के हल् का (लोप भी होता है)। देखें-प्रस्कण्वहरिश्चन्द्रौ VI.1. 148 हल-III. 1.83 हरीतक्यादिश्य-IV. iii. 164 हलन्त से उत्तर (श्ना के स्थान में परे रहते)। (षष्ठीसमर्थ) हरीतकी आदि प्रातिपदिकों से (विकार अवयव अथों में विहित प्रत्यय का फल अभिधेय होने हल-III. iii. 103 पर भी लुप होता है)। हलन्त,(जो गुरुमान् धातु) उनसे (भी स्त्रीलिङ्गकर्तभिन्न हरीतकी = हर्र का पेड़। कारक संज्ञा तथा भाव में अप्रत्यय हो जाता है)। हल:-III. iii. 121 ह-III. iii. 68 हलन्त धातुओं से (भी संज्ञाविषय होने पर करण तथा हर्ष अभिधेय होने पर (प्रमद और सम्मद -ये अप्- अधिकरण कारक में पुंल्लिङ्ग में प्रायः करके घञ् प्रत्यय प्रत्ययान्त शब्द निपातित किये जाते हैं, कर्तृभिन्न कारक होता है)। संज्ञा तथा भाव में)। हल-VI. iv.2 हल्-I.ili.3 (अङ्ग के अवयव) हल् से उत्तर (जो सम्प्रसारण का (उपदेश में वर्तमान अन्तिम) हल् = समस्त व्यञ्जन । अण, तदन्त अङ्ग को दीर्घ होता है)। वर्ण (इत्सजक होता है)। हल-VI. iv. 24 हल्... - VI. 1.66 (इकार जिनका इत्सज्ज्ञक नहीं है, ऐसे) हलन्त अङ्ग देखें-हलइयाण्य: VI.1.66 की (उपधा के नकार का लोप होता है; कित्, डित् प्रत्ययों हल्-VI.1.66 के परे रहते)। (हलन्त ड्यन्त तथा आवन्त दीर्घ से उत्तर स.ति और हल-VI.in.49 सि का जो अपृक्त) हल, (उसका लोप होता है)। हल से उत्तर (य' का लोप होता है, आर्धधातुक परे रहते)। हल्... -VI. HI.8 देखें-हलदन्तात् VI. iii. 8 हल-VI. iv. 150 ...हल... -III. I. 21 हल से उत्तर (भसज्ज्ञक अङ्ग के उपधाभत तद्धित के देखें-मुण्डमिश्र III. I. 21 यकार को भी ईकार परे रहते लोप होता है)। हल... -III. ii. 183 हल:- VIII. iv. 30 (इच उपधा वाले) हलादि (धात) से विहित (जो कृत देखें- हलसूकरयोः III. ii. 183 प्रत्यय, तत्स्थ जो अच् से उत्तर नकार,उसको भी उपसर्ग . हल... -IVil. 123 में स्थित निमित्त से उत्तर विकल्प से णकारादेश होता है)। देखें- हलसीरात् IV. iii. 123 हल-VIII. iv.63 हल...-IV. iv.81 हल् से उत्तर (यम् का यम् परे रहते विकल्प से लोप देखें- हलसीरात् IV. iv. 81 होता है)। हल:-I.1.7 हलदन्तात् -VI. iii. 8 व्यवधानरहित (जिनके बीच में अच् न हों, ऐसे) दो हलन्त तथा अकारान्त शब्द से उत्तर (सज्जाविषय में या दो से अधिक हलों की (संयोग संज्ञा होती है)। सप्तमी विभक्ति का उत्तरपद परे रहते अलुक् होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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