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________________ 555 ...स... -VII. 1. 13 देखें-कृस VII. 1. 13 सघस्यद-III. ii. 160 स,घसि, अद् धातुओं से (तच्छीलादि कर्ता हों तो वर्तमानकाल में क्मरच् प्रत्यय होता है)। ...सृज..- VIII. 1. 36 देखें-वश्वभ्रस्ज VIII. ii. 36 सजि..-VI.i.57 देखें- सृजिदृशोः VI. 1.57 सृजि...-VII. ii. 65 देखें-सजिदृशो: VII. 1.65 ...सृजि... - VIII. iii. 110 देखें- रपरसूफि ViII. iii. 110 सजिदृशोः - VI.i. 57 सज और दशिर धात् को (कित् भिन्न झलादि प्रत्यय परे हो तो अम् आगम होता है)। सजिदशो: - VII. I. 65 सज तथा दशिर अङग के (थल को विकल्प से इट आगम नहीं होता)। - सृपि... - III. iv. 17 . देखें-सृपितृदोः III. iv. 17 ...पि...- VIII. iii. 110 देखें- रपरसृफिO VIII. iii. 110 से-VII. 1.77 (ईश ऐश्वर्ये' धातु से उत्तर) 'से' -इस (सार्वधातुक) को (इट् आगम होता है)। से:-III. iv. 87 (लोडादेश जो) सिप, उसके स्थान में (हि आदेश होता है और वह अपित् भी होता है)। सेट्-I.ii. 18 सेट् = इड्युक्त (क्त्वा प्रत्यय कित् नहीं होता है)। सेटि-VI.i. 190 सेट् (थल) परे रहते (इट को विकल्प से उदात्त होता है एवं चकार से आदि तथा अन्त को विकल्प से होता है)। सेटि-VI. iv. 52 सेट् (निष्ठा) परे रहते (णि का लोप हो जाता है)। मेडि 121 सेट् (थल) परे रहते (भी अनादेशादि अङ्ग के दो असहाय हलों के मध्य में वर्तमान जो अकार,उसके स्थान में एकार आदेश हो जाता है तथा अभ्यास का लोप होता सृपितृदोः- III. iv. 17 (भावलक्षण में वर्तमान) सृपि तथा तृद् धातुओं से (वेदविषय में तुमर्थ में कसुन् प्रत्यय होता है)। से...-III. iv.9 देखें-सेसेनसे III. iv.9 से-III. iv. 80 टित् लकारों (लट्, लि, लु, लट्, लेट्, लोट्) के स्थान में जो थास् आदेश, उसके स्थान में से आदेश हो जाता ...सेघ...- VIII. 1.65 देखें-सुनोतिसुवतिo VIII. 1.65 सेघते:- VIII. iii. 113 (गति अर्थ में वर्तमान) 'षिधु गत्याम्' धातु के (सकार को मूर्धन्य आदेश नहीं होता)। ....सेन्...-III. .9 देखें-सेसेनसे III. iv.9 सेनकस्य-v.iv. 112 (अव्ययीभाव समास में वर्तमान गिरिशब्दान्त प्रातिपदिक से भी समासान्त टच प्रत्यय विकल्प से होता है) सेनक आचार्य के मत में। ...सेनय... -VIII. 11.65 देखें- सुनोतिसुवतिO VIII. III. 65 सेना... - II. iv. 25 देखें-सेनासुराच्छायाo II. iv. 25 ..सेना... -III. 1. 25 देखें- सत्यापपाश III. 1. 25 से- VII. I. 57 (कृती, वृती, उच्छदिर, उतृदिर, नृती -इन धातुओं से उत्तर सिच भिन्न सकारादि (आर्धधातुक) को विकल्प से इट् का आगम होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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