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________________ ...सिची 549 सिवादीनाम् ...सिचौ-1. ii. 11 देखें-लिङ्सिचौ I. ii. 11 सिजभ्यस्तविदिश्या-III. iv. 109 सिच से उत्तर, अभ्यस्तसंज्ञक से उत्तर तथा विद् धातु से उत्तर (भी झि को जुस आदेश होता है)। ...सित...-VIII. 1.70 देखें-सेवसितO VIII. iii. 70 सितात्- VIII. Iii.63 सित शब्द से (पहले-पहले अट् का व्यवधान होने पर तथा अपि ग्रहण से अट का व्यवधान न होने पर भी सकार को मूर्धन्य आदेश होता है)। सिति-I. iv.6 सित् प्रत्यय के परे रहते (भी पूर्व की पद संज्ञा होती सिद्ध...-II. 1.40 . देखें-सिद्धशुष्कपक्वबन्यैः II. 1. 40. सिद्ध...-VI. 1. 32 • देखें- सिखशुष्क० VI. II. 32 ...सिद्ध..-VI. iii. 18 देखें- इन्सिबमातिषु VI. i. 18 सिद्धशुष्कपक्वबन्धेषु- VI. ii. 32 सिद्ध, शुष्क, पक्व तथा बन्ध शब्दों के उत्तरपद रहते (कालभिन्नवाची सप्तम्यन्त पूर्वपद को प्रकृतिस्वर होता ...सिद्ध्यो -III. 1. 116 देखें-पुष्यसिद्ध्यो III. 1. 116 सिध्मादिभ्यः-v.ii.97 सिध्मादि प्रातिपदिकों से (भी 'मत्वर्थ' में विकल्प से लच् प्रत्यय होता है)। सिध्यते:- VI.i. 48 विधु हिंसासंराध्योः धातु के (एच के स्थान में णिच् परे रहते आकारादेश हो जाता है.यदि वह धातु पारलौकिक अर्थ में वर्तमान न हो तो)। ...सिधका...-VIII.INA देखें-पुरगामिश्रका VIII. iv. 4 सिन्धु...- IV. iii. 32 देखें- सिन्ध्वपकराभ्याम् IV. iii. 32 सिन्यु...- IV. iii.93 देखें-सिन्युतक्षशिलादिभ्यः IV. iii. 93 सिन्धुतक्षशिलादिभ्यः- IV. iii. 93 (प्रथमासमर्थ) सिन्ध्वादि तथा तक्षशिलादिगणपठित शब्दों से (यथासंख्य करके अण तथा अञ् प्रत्यय होते हैं, 'इसका अभिजन' - ऐसा कहना हो तो)। ...सिन्ध्यन्ते- VII. iii. 19 देखें- हद्भगसिन्थ्वन्ते VII. iii. 19 सिन्ध्वपकाराभ्याम् -IV. iii. 32 (सप्तमीसमर्थ) सिन्धु तथा अपकर शब्दों से (जातार्थ में कन् प्रत्यय होता है)। सिप्-III. I. 34 (लेट् लकार परे रहते धातु से बहुल करके) सिप् प्रत्यय होता है। . ...सिप..-III. iv. 78 देखें-तिप्तस् िIII. iv. 78 सिपि-VIII. 1.74 (सकारान्त पद धातु को) सिप परे रहते (विकल्प से रु आदेश होता है)। सिवादीनाम् - VIII. iii. 71 (परि, नि तथा वि उपसर्ग से उत्तर) सिवादि धातुओं के (सकार को अट् के व्यवधान होने पर भी विकल्प से मूर्धन्य आदेश होता है)। सिद्धशंकपक्वबन्धैः-II.1.40 सिद्ध, शुष्क, पक्व, बन्ध –इन (समर्थ सुबन्त) शब्दों के साथ (भी सप्तम्यन्त सुबन्त का विकल्प से समास होता है और वह तत्पुरुष समास होता है)। सिद्धाप्रयोगे-III. iii. 154 . (पर्याप्तिविशिष्ट सम्भावना अर्थ में वर्तमान धात से लिङ्प्रत्यय होता है,यदि अलम शब्द का) अप्रयोग सिद्ध हो रहा हो। सिळपयोग- III. iv. 27 (अन्यथा, एवं, कथं, इत्थम् शब्दों के उपपद रहते कृञ् धातु से ण्वुल प्रत्यय होता है.यदि क का) अप्रयोग सिद्ध हो। .
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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