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________________ 523 सनायाम सङ्थे - III. iii. 42 सज्ञा...-V.i.57 (ऊपर नीचे स्थित न होने वाला) संघ = समह वाच्य देखें-संज्ञासङ्घसूत्रा० V. 1.57 हो (तो भी चिज् धातु से घञ् प्रत्यय होता है तथा आदि सज्ञा...-VI. ii. 113 चकार को ककारादेश हो जाता है.कर्तभिन्न कारक संज्ञा देखें-संज्ञोपम्ययो: VI. ii. 113 तथा भाव में)। सज्ञा...-VI.ili.37 सड्योद्घौ-III. ii. 86 देखें-संज्ञापूरण्यो : VI. iii. 37 संच और उद्घ शब्द (यथासंख्य करके गण तथा सज्ञा ...-VI. 1.62 देखें-संज्ञाछन्दसोः VI. iii. 62 . प्रशंसा गम्यमान होने पर निपातन किये जाते हैं.कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में)। ...सज्ञा...- VIII. 1.2 देखें-सुप्स्वरO VIII. 1.2 ...सजुक-VIII. ii.67 सज्ञाछन्दसो:-:IV.i. 29 देखें-ससजुषः VIII. ii. 67 (अन्नन्त उपधालोपी बहुव्रीहि समास से) संज्ञा तथा ...सचर..-III. iii. 119 देखें-गोचरसञ्चरo III. iii. 119 छन्द-विषय में (नित्य ही स्त्रीलिङ्ग में डीप् प्रत्यय होता ...सञ्चाय्यौ-III. 1. 130 देखें-कुण्डपाय्यसञ्चाय्यौ III. 1. 130 सज्ञाछन्दसो:-VI.ili. 62 ...सझ..-VI. iv.25 (ङ्यन्त तथा आबन्त शब्दों को) सजा तथा छन्दविषय देखें-दंशस VI. iv. 25 में) उत्तरपद परे रहते बहुल करके हस्व होता है)। ....सच..-VIII. iii.65 सज्ञान्तरयोः-III. 1. 179 देखें-सुनोतिसुवति VIII. iii.65 (भू धातु से) संज्ञा तथा अन्तर= मध्य गम्यमान हो तो सातम्- V.ii. 36 (वर्तमान काल में क्विप् प्रत्यय होता है)। (प्रथमासमर्थ) संजात समानाधिकरण (तारकादि प्राति- सनापूरण्यो:- VI. ii. 37 . 'पदिकों से षष्ठ्यर्थ में इतच् प्रत्यय होता है)। सज्ज्ञावाची तथा पूरणीप्रत्ययान्त (भाषितपुंस्क स्त्री ...सञ्जीव..- VI. ii. 91 शब्दों) को (भी पुंवद्भाव नहीं होता)। . देखें-भूताधिक. VI. ii. 91 सप्नाप्रमाणत्वात-I.ii. 53 सज्ञ-II.ifi. 22 लौकिक व्यवहार के अधीन होने से (उपर्युक्त युक्तसम् पूर्वक 'ज्ञा' धातु के (अनभिहित कर्म कारक में वद्भाव पूरी तरह से शासित नहीं किया जा सकता)। विकल्प से तृतीया विभक्ति होती है)। सजायाम्-II.1.20 ...संज्ञयो:-v.iv.94 संज्ञाविषय में (अन्य पदार्थ गम्यमान होने पर भी सुबन्त देखें-जातिसंज्ञयो: V. iv.94 का नदीवाचियों के साथ विकल्प से अव्ययीभाव समास सज्ञा-I.iv.1 होता है)। .. (कडारा: कर्मधारये' II. 1.38 इस सत्र तक एक) संज्ञा सज्ञायाम-II.1.43 होती है, यह अधिकार है)। संज्ञा-विषय में (सप्तम्यन्त सुबन्त का समर्थ सुबन्तों के सज्ञा...-III. 1. 179 साथ तत्पुरुष समास होता है)। देखें-संज्ञान्तरयोः III. 1. 179 सज्ञायाम् -II. I. 49 संज्ञा...- IV.i.29 (दिशावाची और संख्यावाची सुबन्त समानाधिकरण समर्थ सुबन्त के साथ) संज्ञाविषय में (समास को प्राप्त . देखें- संज्ञाछन्दसो: IV. 1.29 होते हैं और वह समास तत्पुरुषसञक होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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