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________________ शुचि... 507 शूलोखात् शुचि... - VII. iii. 30 देखें - शुचीश्वर० VII. iii. 30 ...शुचिषु - VI. ii. 161 देखें-तृन्नन्न VI. ii. 161 शुचीश्वरक्षेत्रज्ञकुशलनिपुणानाम् - VII. iii. 30 (नञ् से उत्तर) शुचि,ईश्वर,क्षेत्रज,कुशल,निपुण-इन शब्दों के (अचों में आदि अच् को वृद्धि होती है, तथा पूर्वपद को विकल्प से होती है; जित, णित, कित् तद्धित परे रहते)। ...शुण्डाभ्यः -V.ili.88 देखें-कुटीशमीo v. iii. 88 शुण्डिकादिभ्यः - VI. iii. 76 (पञ्चमीसमर्थ) शुण्डिकादि प्रातिपदिकों से (आया हुआ' अर्थ में अण् प्रत्यय होता है)। ...शुद्ध... -.iv. 145 . देखें- अग्रान्तo v. iv. 145 शुन: - V.iv.96 • (अति शब्द से उत्तर) श्वन शब्दान्त (तत्पुरुष) से (समा सान्त टच् प्रत्यय होता है)। ...शुनक... - IV.i. 102 देखें-शरद्वच्छुनकo Iv.i. 102 ...शुनासीर... -IV.ii.31 देखें-द्यावापृथिवीशुनासीर IV.ii. 31 ...शुभमों: - V. ii. 140 देखें - अहंशुभमो: V. ii. 140 ...शुभ्र... - V.iv. 145 देखें - अग्रान्तo V. iv. 145 शुभ्रादिभ्यः - IV.i. 123 शुभ्रादि प्रातिपदिकों से (भी अपत्य अर्थ में ढक प्रत्यय होता है)। शुल्क... -v.i. 46 देखें - वृद्ध्यायलाभO V.i. 46 शुषः - VIII. ii. 51 'शष शोषणे' धातु से उत्तर (निष्ठा के तकार को ककारादेश होता है)। शषि... -III. iv.44 देखें - शुषिपूरोः III. iv. 44 शुषिपूरोः -- III. iv. 44 (कर्तवाची ऊर्ध्व शब्द उपपद हो तो) शषि शोषणे (तथा पूरी आप्यायने) धातु से (णमुल प्रत्यय होता है)। ....शुष्क... -II.1.40 देखें-सिद्धशुष्कपक्वबन्धैः II. 1.40 शुष्क... - III. iv. 35 देखें- शुष्कचूर्णरूक्षेषु III. iv. 35 शुष्क... - VI.i. 200 देखें - शुष्कघृष्टौ VI. 1. 200 ....शुष्क... - VI. ii. 32 देखें-सिद्धशुष्क० VI. ii. 32 शुष्कचूर्णरूक्षेषु - III. iv. 35 शुष्क, चूर्ण तथा रूक्ष कर्म उपपद रहते (पिष् धातु से णमुल् प्रत्यय होता है)। शुष्कघृष्टौ - VI.i. 100 शुष्क तथा धृष्ट शब्दों को (आधुदात्त होता है)। शूट – VI. iv. 19 (च्छ और व् के स्थान में यथासङ्ख्य करके) श और ऊ आदेश होते हैं,(अनुनासिकादि प्रत्यय परे रहते तथा क्वि एवं झलादि कित,डित प्रत्ययों के परे रहते)। शूद्राणाम् -II. iv. 10 (अबहिष्कृत) शूद्रवाचकों का (द्वन्द्व एकवद् होता है)। .. शूर्प... - VI. ii. 123 देखें-कंसमन्थ. VI. ii. 123 शूर्पात् - V.i. 26 शर्प प्रातिपदिक से (तदर्हति-पर्यन्त कथित अर्थों में विकल्प से अञ् प्रत्यय होता है)। शूल... - IV.ii. 17 देखें-शूलोखात् IV. ii. 17 शूलात् - V.iv.65 (पकाना' विषय हो तो) शल प्रातिपदिक से (कब के योग में डाच् प्रत्यय होता है)। शूलोखात् - IV. ii. 16 (सप्तमीसमर्थ) शूल तथा उख प्रातिपदिकों से (संस्कृतं भक्षाः' अर्थ में यत् प्रत्यय होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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