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________________ ...वसति... 467 वस्नद्रव्याभ्याम् ...वसति... -IV. iv. 104 वसुधित -VII. iv. 45 देखें-पथ्यतिथिV.iv. 104 वसुधित शब्द वेदविषय में निपातन किया जाता है। वसति... -VII. 1. 52 वसुराटो: - VI. iii. 127 देखें-वसतिक्षुधोः VII. II. 52 क्सतिक्षुषोः - VII. ii. 52 वसु तथा राट् उत्तरपद रहते (विश्व शब्द को दीर्घ हो जाता है)। वस् तथा क्षुध् धातु के (क्त्वा तथा निष्ठा प्रत्यय को वसुत्रंसुध्वंस्वनडुहाम् -VIII. 1.71 इट् आगम होता है)। (सकारान्त) वस्वन्त पद को तथा स्रंस,ध्वंसु एवं अनडुह ...वसनात् -V.i. 27 देखें-शतमानविंशति० V.I. 27 पदों को (दकारादेश होता है)। वसन्तात् -IV. iii. 20 वसो: - IV. iv. 140 (कालवाची) वसन्त प्रातिपदिक से (भी वेदविषय में ठब। वसु प्रातिपदिक से (समूह तथा मयट के अर्थ में यत् प्रत्यय होता है। प्रत्यय होता है, वेद-विषय में)। ...वसन्तात् -IVii.46 वसोः - VI. iv. 131 देखें-ग्रीष्मवसन्तात् IV. iii. 46 (भसज्जक) वस्वन्त अङ्ग को (सम्प्रसारण होता है)। वसन्तादिभ्यः -IV. 1.62 ...वसो: - VIII. I.1 वसन्तादि प्रातिपदिकों सs 'तदधीते तद्वेद' अर्थों में देखें-मतुक्सो : VIII. Iii.1 ढक् प्रत्यय होता है)। ....वस्ति... - IV. iii. 56 ...वसि... -VIII..ii. 60. देखें-दृतिकुक्षिकलशिo IV. 11.56 देखें-शासिवसि० VIII. iii.60 वस्ते: -V.1. 101 . ...वसिष्ठ.. -II.iv.65 वस्ति प्रातिपदिक से (इव का अर्थ घोतित हो रहा हो देखें- अत्रिभृगुकुत्स II. iv.65 तो ढब् प्रत्यय होता है)। वसीयः -v.iv.80 वस्ति = निवास,उदर, मूत्राशय । .. देखें-वसीय श्रेयस: V. iv. 80. . ...क्स...-III.1.21 वसीय श्रेयस: - V. iv.80 देखें-मुण्डमिन III. 1. 21 (श्वस् शब्द से उत्तर) वसीयस् और श्रेयस् शब्दान्त वस्न...-IV.iv. 13 प्रातिपदिकों से (समासान्त अच् प्रत्यय होता है)। देखें-वस्नक्रयविक्रयात् IV. iv. 13 वसु... -VI. iii. 127 वस्न... -V.1.50 . देखें-वसुराटोः VI. I. 127 देखें-वस्नद्रव्याभ्याम् V.1.50 वसु-VII. 1.67 ...वस्न... -V.1.55 (कृतद्विर्वचन एकाच धातु तथा आकारान्त एवं घस् धातु देखें- अंशवनभृतयः V.i.55 से उत्तर) वसु को (इट का आगम होता है)। वस्नक्रयविक्रयात् - IV. iv. 13 (तृतीयासमथ) वस्न, क्रयविक्रय प्रातिपदिकों से (ठन वसु... -VIII. 1.72 प्रत्यय होता है)। देखें- वसुलंसु० VIII. ii. 72 वस्नद्रव्याभ्याम् - V. 1. 50 वसुः-VII. 1. 36 (विद् ज्ञाने' धातु से उत्तर शतृ के स्थान में) वसु आदेश (द्वितीयासमर्थ) वस्न और द्रव्य प्रातिपदिकों से (हरण करता है', 'वहन करता है' और 'उत्पन्न करता है' अर्थों होता है। में यथासङ्ख्य ठन् और कन् प्रत्यय होते है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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