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________________ वर्णेन 465 - वर्षात् तो)। वर्णेन -II.i. 68 ...वर्ति... -III. iv. 39 (वर्ण विशेषवाची सबन्त) वर्णविशेषवाची (समानाधि- देखें-वर्तिग्रहो: III. iv. 39 करण सुबन्त) शब्द के साथ (विकल्प से समास को प्राप्त वर्तिग्रहो: -III. iv. 39 होता है और वह समास तत्पुरुषसंज्ञक होता है)। (हस्तवाची करण उपपद हो तो) वर्त्ति तथा ग्रह धातुओं वर्णेषु -VI. ii.3 से (णमुल् प्रत्यय होता है)। वर्णवाची शब्द के उत्तरपद में रहते (वर्णवाची पूर्वपद वर्तिचरो: -III. 1. 15 , को प्रकृतिस्वर हो जाता है, एत शब्द उत्तरपद में न हो वर्ति और चर अर्थ में (यथासंख्य करके रोमन्थ और तप कर्म से क्यङ् प्रत्यय होता है)। वर्णी - IV.ii. 102 ....वर्ध... - IV. iii. 148 वर्ण नाम वाले (देशविषयक कन्था प्रातिपदिक से वुक् देखें-उत्वद्वर्धo IV. iii. 148 प्रत्यय होता है)। . ...वर्म... - III. . 25 वर्तते - IV. iv. 27 देखें- सत्यापपाश III. 1. 25 (तृतीयासमर्थ ओजस्, सहस, अम्भस् प्रातिपदिकों से) ...वर्मती... - IV. iii. 94 । 'व्यवहार करता है' अर्थ में (ठक् प्रत्यय होता है)। देखें-तूदीशलातुर० IV. iii.94 वर्तमानवत् - III. iii. 131 ...वर्याः -III.i. 101 (वर्तमान के समीप अर्थात निकट के भत निकट के देखें - अवधपण्य० III. 1. 101 : भविष्यत काल में वर्तमान धातु से) वर्तमान काल के वर्ष... - VI. iii. 15 समान (विकल्प से प्रत्यय होते हैं)। देखें- वर्षक्षरशरवरात् VI. iii. 15 वर्तमानसामीप्ये -III. iii. 131 वर्षक्षरशरवरात् – VI. iii. 15 वर्तमान के समीप अर्थात् निकट (के भूत, निकट के वर्ष, क्षर, शर, वर-इन शब्दों से उत्तर (सप्तमी का ज उत्तरपद रहते विकल्प से अलक होता है)। भविष्यत् काल के समान विकल्प से प्रत्यय होते है)। वर्षप्रतिबन्थे - III. iii. 51 वर्तमाने -II. iii. 67 वर्षा का समय हो जाने पर भी वर्षा का न होना गम्यमान . वर्तमान काल में (विहित क्त प्रत्यय के योग में षष्ठी हो (तो अव पूर्वक ग्रह धातु से कर्तभिन्न कारक संज्ञा तथा विभक्ति होती है)। भाव में विकल्प करके घञ् प्रत्यय होता है)। वर्तमाने - HI. ii. 122 वर्षप्रमाणे -III. iv. 32 वर्तमान काल में (विद्यमान धातु से लट् प्रत्यय होता वर्षा का प्रमाण = मापन गम्यमान हो (तो कर्म उपपद रहते ण्यन्त पूरी धातु से णमुल् प्रत्यय होता है, तथा इस वर्तमाने -III. iii. 160 पूरी धातु के ऊकार का लोप विकल्प से होता है)। (इच्छार्थक धातुओं से) वर्तमान काल में (विकल्प से वर्षस्य-VII. iii. 16 लिङ् प्रत्यय होता है, पक्ष में लट्)। (सङ्ख्यावाची शब्द से उत्तर) वर्ष शब्द के (अचों में वर्तयति - v.i.71 आदि अच् को जित, णित् तथा कित् तद्धित प्रत्यय परे (द्वितीयासमर्थ पारायण, तुरायण तथा चान्द्रायण प्राति- रहते वृद्धि होती है,यदि वह तद्धित प्रत्यय भविष्यत् अर्थ पदिकों से) बरतता है' अर्थ में (यथाविहित ठञ् प्रत्यय __ में न हुआ हो तो)। होता है)। वर्षात् -V.1.87 वर्ति... -III. 1. 15 (द्वितीयासमर्थ) वर्ष-शब्दान्त (द्विगुसज्ञक) प्रातिपदिक - देखें-वर्तिचरो: III. 1. 15 से (सत्कारपूर्वक व्यापार', खरीदा हुआ', हो चुका' तथा
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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