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________________ प्रजो प्रजो: III. ii. 156 प्रपूर्वक जु धातु से (वर्तमानकाल में इनि प्रत्यय होता है । प्रज्ञा... - Vii. 101 देखें प्रज्ञा प्रज्ञादिभ्य - VIv. 38 प्रज्ञादि प्रातिपदिकों से भी स्वार्थ में अण् प्रत्यय होता है) । प्रज्ञाश्रद्धाचच्य प्रज्ञा, श्रद्धा तथा अर्चा प्रातिपदिकों से (मत्वर्थ में विकल्प सेण प्रत्यय होता है) । — • VIII. ii. 89 VII. 101 प्रणव: ( यज्ञकर्म में अन्तिम पद की टि को) प्रणव अर्थात् ओ३म् आदेश होता है (और वह प्लुत उदात्त होता है)। - - V. ii. 101 प्रणाय्य – IH. i. 128 - ... प्रणीय... - III. 1. 123 देखें - निष्टवर्यदेवहूक III. 1. 123 प्रति... - 1. iii. 59 देखें - प्रत्याङ्भ्याम् 1. III. 59 .... प्रति... - I. iii. 80 - देखें - अभिप्रत्यतिभ्य 1. III. 80 प्रति· - I. iv. 36 - (कुध दुह, ईर्ष्या, असूय -इन अर्थों वाली धातुओं के प्रयोग में जिसके ऊपर (कोप किया जाये, उस कारक की सम्प्रदान संज्ञा होती है)। प्रति... - I. iv. 40 देखें प्रत्याङ्भ्याम् I. Iv. 90 ... प्रति... - I. I. 41 देखें - अनुप्रतिगृणः 1. Iv. 41 373 प्रणाय्य शब्द निपातन किया गया है, (असंमत अर्थात् प्रतिजनादिष्य अपूजित अर्थ अभिषेय होने पर)। प्रति... - I. vi. 89 देखें - प्रतिपर्यनवः I. iv. 89 - प्रति... - III. 1. 118 देखें प्रत्यपिभ्याम् III. I. 118 - प्रति... - IV. iv. 28 देखें प्रत्यनुपूर्वम् IV. iv. 28 प्रति... - V. iv. 75 देखें प्रत्यन्वक्पूर्वात् Viv. 75 - ... प्रति... देखें - प्रत्युपापा: VI. ii. 33 fa:- I. iv. 91 प्रति शब्द (प्रतिनिधि और प्रतिदान विषय में कर्मप्रवचनीय और निपातसंज्ञक होता है)। - • VI. ii. 33 - प्रतिकण्ठ... - IV. Iv. 40 देखें प्रतिकण्ठार्थललामम् IV. Iv. 40 प्रतिकण्ठार्थललामम् IV. Iv. 40 (द्वितीयासमर्थ) प्रतिकण्ठ, अर्थ, ललाम प्रातिपदिकों से (भी 'ग्रहण करता है— अर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)। प्रतिकृतौ - - V. iii. 96 प्रतिमाविषयक (इव के) अर्थ में (वर्तमान प्रातिपदिक से कन् प्रत्यय होता है)। . - प्रतिनिधिप्रतिदानयोः - IV. iv. 99 (सप्तमीसमर्थ) प्रतिजन आदि शब्दों से (साधु अर्थ में खञ् प्रत्यय होता है)। — प्रतिज्ञाने - I. iii. 52 प्रतिज्ञा = स्वीकार करने अर्थ में सम् पूर्वक गृ धातु से आत्मनेपद होता है)। - ...प्रतिदानयोः 1. Iv. 91. देखें - प्रतिनिधिप्रतिदानयोः I. iv. 91 ... प्रतिदाने - II. ii. 11 देखें - प्रतिनिधिप्रतिदाने II. iii. 11 प्रतिना - 11.1.9 (मात्रा अर्थ में विद्यमान) प्रति शब्द के साथ (समर्थ सुबन्त का अव्ययीभाव समास होता है)। प्रतिनिधि... - I. Iv. 91 देखें - प्रतिनिधिप्रतिदानयोः 1. in. 91 प्रतिनिधि... - II. iii. 11 देखें प्रतिनिधिप्रतिदाने II III. 11 प्रतिनिधिप्रतिदानयोः - I. v. 91 प्रतिनिधि और प्रतिदान विषय में (प्रति शब्द की कर्म प्रवचनीय और निपात संज्ञा होती है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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