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________________ परिन्योः ___353 परिमाणिना आदेश होता है;सित शब्द से पहले-पहले; अव्यवाय एवं ..परिभ्यः - VIII. iii. 96 अभ्यासव्यवाय में भी)। देखें-विकुशमि० VIII. iii. 96 परिन्योः - II. iii. 37 ...परिभ्याम् -VI.i. 132 परि तथा नि उपपद रहते हुए (यथासंख्य नी तथा इण देखें-सम्परिभ्याम् VI. I. 132 धातु से कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में छूत तथा ...परिमाण... -II. iii. 46 उचित आचरण के विषय में घञ् प्रत्यय होता है)। देखें - प्रातिपदिकार्थलिङ्ग- II. iii. 46 परिपन्थम् - IV. iv. 36. ...परिमाण... -V.i. 38 (द्वितीयासमर्थ) परिपन्थ प्रातिपदिक से (बैठता है' तथा । देखें-असंख्यापरिमाण.v.i. 38 'मारता है' अर्थों में ठक् प्रत्यय होता है)। परिमाणम् -V.1.56 परिपन्धि ..-v.ii. 89 (प्रथमासमर्थ) परिमाणवाची प्रातिपदिकों से (षष्ठ्यर्थ देखें-परिपन्थिपरिपरिणौ v.ii. 89 में यथाविहित प्रत्यय होते हैं)। परिपन्धिपरिपरिणौ - V.ii. 89 ...परिमाणम् - VI. ii. 55 (वेदविषय में) परिपन्थिन् और परिपरिन् शब्दों का देखें-हिरण्यपरिमाणम VI. 1. 55 निपातन किया जाता है; (पर्यवस्थाता' = मार्ग का आरोधक वाच्य हो तो)। परिमाणस्य - VII. iii. 26 ....परिपरिणौ - V. ii. 89 (अर्ध शब्द से उत्तर) परिमाणवाची उत्तरपद के (अचों में आदि अच को वृद्धि होती है, पूर्वपद को तो विकल्प देखें - परिपन्थिपरिपरिणौ v. ii. 89 से होती है; जित,णित् तथा कित तद्धित प्रत्यय परे रहते)। ...परिपूर्वात् - V.i.91 परिमाणाख्यायाम् - III. iii. 20 देखें - सम्परिपूर्वात् V. 1. 91 (सब धातुओं से) परिमाण की आख्या= कथन गम्यपरिप्रत्युपापा - VI. ii. 33 मान होने पर (घञ् प्रत्यय होता है)। (पूर्वपदभूत) परि, प्रति, उप, अप – इन शब्दों को परिमाणात् - IV. ii. 153 (वय॑मान तथा दिन एवं रात्रि के अवयववाची शब्दों के (षष्ठीसमर्थ) परिमाणवाची प्रातिपदिकों से (क्रीतार्थ में परे रहते प्रकृतिस्वर हो जाता है)। कहे गये प्रत्ययविकार अवयव अर्थों में भी होते है)। ...परिप्रश्नयोः - III. iii. 110 ...परिमाणात् - V.i.9 देखें - आख्यानपरिप्रश्नयोः III. iii. 110 देखें - अगोपुच्छसंख्या० V. 1. 19 ....परिभिः - II. iii. 10 परिमाणान्तस्य -VII. iii. 17 देखें - अपाङ्परिभिः II. iii. 10 परिमाणवाची शब्द अन्त में है जिस अङ्ग के, उसके ....परिभू.. - III. ii. 157 (सङ्ख्यावाची शब्द से उत्तर उत्तरपद के अचों में आदि अच् को जित्, णित् तथा कित् तद्धित परे रहते वृद्धि होती देखें - जिदृक्षि० III. ii. 157 है, सञ्जा-विषय एवं शाण शब्द उत्तरपद को छोड़कर)। ...परिभ्यः -I. 1.21 परिमाणिना-II. 1.5 देखें - अनुसम्परिभ्यः I. iii. 21 परिमाणिवाचक शब्दों के साथ (कालवाचक सुबन्त ...परिभ्यः -I. iii. 83 समास को प्राप्त होते हैं और वह तत्पुरुष समास होता देखें - व्यापरिभ्यः० I. iii. 83 है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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