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________________ निव्यभिभ्यः निव्यभिभ्यः - VIII. ii. 119 निवि तथा अभि उपसर्गों से उत्तर (सकार को अट् का व्यवधान होने पर वेद - विषय में विकल्प से मूर्धन्य आदेश नहीं होता। निश् - VI. 1. 61 (वेदविषय में निशा शब्द के स्थान में) निश् आदेश हो जाता है, (शस् प्रकार वाले प्रत्ययों के परे रहते)। ... निशा - III. II. 21 देखें - दिवाविभा III. ii. 21 निशा... - IV. iii. 14 देखें - निशाप्रदोषाभ्याम् IV. iff. 14 ... निशानाम् - II. Iv. 25 देखें - सेनासुराच्छाया० II. Iv. 25 निशाप्रदोषाभ्याम् - IV. ill. 14. निशा, प्रदोष (कालविशेषवाची) शब्दों से (भी विकल्प से ढञ् प्रत्यय होता है)। ....निश्चि... - III. iii. 58 देखें - ग्रहवृह० III iii. 58 ... निश्रेयस... - V. iv. 77 देखें - अचतुर V. Iv. 77 ... निक्त... - VIII. it. 61 देखें निषत्त = बैठा हुआ । - नसत्तनिक्तo VIII. 1. 61 ... निषद... - III. iii. 99 देखें - समजनिषद० III. iii. 99 निष्कात् - V. 1.30 (द्वि तथा त्रिशब्द पूर्ववाले) निष्कशब्दान्त द्विगुसञ्चक प्रातिपदिक से (तदर्हति'- पर्यन्त कथित अर्थों में उत्पन्न • प्रत्यय का विकल्प से लुक् होता है)। निष्कात् - Vii. 119 (शत शब्द अन्तवाले तथा सहस्र शब्द अन्त वाले) निष्क प्रातिपदिक से (भी 'मत्वर्थ' में ठञ् प्रत्यय होता है)। निष्कादिभ्यः (समास में वर्तमान न होने पर) निष्कादिक प्रातिपदिक से (तदर्हति' - पर्यन्त कथित अर्थों में ठक् प्रत्यय होता है)। - V. i. 20 339 निष्कुलात् - Viv. 62 ( अन्दर स्थित अवयवों के बाहर निकालने' अर्थ में वर्तमान) निष्कुल प्रातिपदिक से (कृञ् के योग में डाच् प्रत्यय होता है)। निष्कोषणे - V. iv. 62 अन्दर स्थित अवयवों के बाहर निकालने अर्थ में वर्तमान (निष्कुल प्रातिपदिक से कृञ् के योग में डाच् प्रत्यय होता है)। निष्टव... - III. i. 123 निष्ठा... देखें - निष्टर्यदेवहूय III. 1. 123 ... निष्ठयोः - VII. ii. 50 देखें - क्त्वानिष्ठयोः VII. ii. 50 निष्ठा - I. 1. 25 (क्त और क्तवतु प्रत्ययों की) निष्ठा सञ्ज्ञा होती है)। frost-I. ii. 19 (शीङ्, स्विद्, मिद्, विद् तथा घृष् धातुओं से परे सेट) निष्ठा = क्त तथा क्तवतु प्रत्यय ( कित् नहीं होता) । निष्ठा - II. 1. 36 निष्ठान्त शब्दरूप (बहुव्रीहि समास में पूर्व में प्रयुक्त होता है)। ... . निष्ठा... - II. iii. 69. देखें - लोकाव्ययनिष्ठा० II. III. 69 निष्ठा - III. 1. 102 (धातुमात्र से भूतकाल में) निष्ठासंज्ञक प्रत्यय होते हैं। निष्ठा - VI. 1. 199 (दो अचों वाले) निष्ठान्त शब्दों के (भी आदि को उदात्त होता है; सञ्ज्ञाविषय में, आकार को छोड़कर) । निष्ठा - VI. 1. 110 = क्त, (बहुव्रीहि समास में उपसर्ग पूर्व वाले) निष्ठान्त पूर्वपद को (विकल्प से अन्तोदात्त होता है)। निष्ठा... -VI. ii. 169 देखें - निष्ठोपमानात् VI. 1. 169
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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