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________________ ... धेनु.... ... धेनु... - VII. iii. 25 देखें- जङ्गलबेनु० VII. III. 25 धेनुष्या - IV. iv. 89 (साविषय में धेनुष्या शब्द (स्त्रीलिङ्ग में निपातन किया जाता है)। ... येनो IV. ii. 46 देखें - अचित्तहस्तिo IV. II. 46 .... बेन्वनडुह... - V. I. 78 देखें अक्तुरo Viv. 78 ... चैवत्य... - VI. I. 174 देखें- दाण्डिनायेनास्तिo VI. iv. 174 - - st... VII. iii. 78 देखें - पिवजि० VII. III. 78 - ... ष्मा... - III. 1. 137 देखें - पाघ्राध्मा०] III. 1. 137 -III. ii. 29 BIL... 'देखें - ध्माधेटो: III. ii. 29 - 319 . घ्मा... - VII. iii. 78 देखें - पाघ्राध्मा० VII. iii. 78 माटो : - III. ii. 29 (नासिका तथा स्तन कर्म उपपद रहते ) ध्मा तथा धेट् धातुओं से (खस् प्रत्यय होता है)। ... मो. - VII. iv. 31 देखें - घ्राध्मो VIL. I. 31 ध्यमुज् - V. iii. 44 (एक प्रातिपदिक से उत्तर जो धा प्रत्यय, उसके स्थान में विकल्प से) ध्यमुज् आदेश होता है। .घ्या... - VIII. ii. 57 - देखें व्याख्यापू०] VIII. 1. 57 ध्याख्यामूर्च्छिमदाम् VIII. II. 57 ध्यै ख्या, पू, मूर्च्छा मदी इन धातुओं से परे (निष्ठा के तकार को नकारादेश नहीं होता) । ध्रुवम् - I. iv. 24° अपाय अर्थात् अलग होने पर) अचल रहने वाला (कारक अपादान संज्ञक होता है)। ध्रुवम् - VI. 1. 177 बहुव्रीहि समास में उपसर्ग से उत्तर पर्शुवर्जित) ध्रुव स्वाङ्ग को (अन्तोदात्त होता है ) । धौव्य... - III. I. 76 देखें - प्रौव्यगति०] III. iv. 76 धौव्यगतिप्रत्यवसानार्थेभ्य - III. Iv. 76 स्थित्यर्थक (अकर्मक), गत्यर्थक तथा प्रत्यवसानार्थक भक्षणार्थक धातुओं से विहित (जो क्त प्रत्यय, वह अधिकरण कारक में होता है तथा चकार से यथाप्राप्त भाव, कर्म, कर्त्ता में भी होता है)। ध्वनयति- III. 1. 51 देखें - अनयतिध्वनयति०] III. 1. 51 = ... ध्वम् - III. iv. 78 देखें - तिप्ताि० 11II. I. 78 ध्वात्... ध्वमः - VII. 1. 42 (वेद-विषय में) ध्वम् के स्थान में (ध्वात् आदेश होता है) । . ... ध्वमो. - III. iv. 2 देखें - तध्वमो: III. 1. 2 ... ध्वर्य... - III. 1. 123 देखें - निष्टक्यदेवहूय III. I. 123 .......... IV. iv. 84 देखें सुखंसु VII. Iv. 84 ...ध्वंसु... - VIII II. 72 देखें - वसुखुसु VIII. ii. 72 ध्वाङ्क्षेण – II. 1. 41 - = कौआवाची (समर्थ (सप्तम्यन्त सुबन्त) ध्वाक्षसुबन्त) के साथ (क्षेप निन्दा गम्यमान होने पर विकल्प से समास को प्राप्त होता है और वह तत्पुरुष समास होता है। ध्वात्... - VII. 1. 42 (वेद - विषय में ध्वम् के स्थान में) ध्वात् आदेश हो जाता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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