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________________ ६. छ - VIII. 1. 34 (ह बन्धने' धातु के हकार को) धकारादेश होता है, (झल् परे रहते या पदान्त में) । छ. - VIII. 1. 40 (झ से उत्तर तकार तथा थकार को) धकार आदेश होता है (किन्तु, डुधाञ् धातु से उत्तर धकारादेश नहीं होता)। छ - VIII. iii. 78 (इण् प्रत्याहार अन्तवाले अङ्ग से उत्तर षीध्वम्, लुङ् तथा लिट् के) धकार को (मूर्धन्य आदेश होता है ) । धन... - IV. iv. 84 देखें- धनगणम् IV. iv. 84 धन... - V. 1. 65 देखें - धनहिरण्यात् V. it. 65 धन - VI. 1. 186 देखें - भीहीo VI. 1. 186 धनगणम् - IV. iv. 84 (द्वितीयासमर्थ) धन और गण प्रातिपदिकों से (प्राप्त करने वाला अभिप्रेत हो तो यत् प्रत्यय होता है)। धनहिरण्यात् - V. ii. 65 (सप्तमीसमर्थ) धन और हिरण्य प्रातिपदिकों से (इच्छा' अर्थ में कन् प्रत्यय होता है ) । ... धनाख्यायाम् - I. 1. 34 देखें - अज्ञातिधनाख्यायाम् I. 1. 34 315 ....धनायाः - VII. iv. 34 देखें - अशनायोदन्य० VII. iv. 34 धनुष - Viv. 132 धनुष्-शब्दान्त (बहुव्रीहि) को ( भी समासान्त अन आदेश होता है)। ... धनुस् – III. 1. 21 देखें - दिवाविभा० III. ii. 21 धने - VI. ii. 55 (हिरण्य और परिमाण दोनों अर्थों को कहने वाले पूर्वपद को) धन शब्द उत्तरपद रहते (विकल्प से प्रकृतिस्वर होता है। धर्मशीलवर्णान्तात् धन्य... - IV. 1. 120 देखें - धन्वयोपधात् IV. ii. 120 धन्वयोपधात् - IV. ii. 120 (देश में वर्तमान) धन्ववाची तथा यकार उपधावाले (वृद्धसंज्ञक) प्रातिपदिकों से (शैषिक वुञ् प्रत्यय होता है)। ... धपरे - VI. 1. 116 देखें - कुधपरे VI. 1. 116 ... धम... - VII. iii. 78 देखें - पिबजिघ्र० VII. iii. 78 धमुञ् - V. iii. 45 (द्वि तथा त्रि सम्बन्धी धा प्रत्यय को भी विकल्प से, धमुत्र आदेश होता है। ... धर्म... - IV. iv. 91 देखें - नौवयोधर्मo IV. iv. 91 धर्म... - IV. iv. 92 देखें - धर्मपथ्यर्थ० IV. iv. 92 धर्म... - V. ii. 132 देखें - धर्मशील० V. ii. 132 धर्मपथ्यर्थन्यायात् - IV. iv. 92 (पञ्चमीसमर्थ) धर्म, पथिन्, अर्थ, न्याय प्रातिपदिकों से (अनपेत अर्थ में यत् प्रत्यय होता है) । अनपेत = जो दूर न गया हो, बोला न हो, अविरहित, सम्पन्न । धर्म - IV. iv. 41 (द्वितीयासमर्थ) धर्म प्रातिपदिक से ('आवरण करता है' अर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)। धर्मवत् - IV. ii. 45 (षष्ठीसमर्थ चरणवाची प्रातिपदिकों से समूह अर्थ में) धर्म अर्थ में कहे हुओं के समान (प्रत्यय होते हैं)। धर्मशीलवर्णान्तात् - V. ii. 132 धर्म शब्द अन्तवाले, शील शब्द अन्त वाले तथा वर्ण शब्द अन्तवाले प्रातिपदिकों से (भी. 'मत्वर्थ' में इनि प्रत्यय होता है।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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