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________________ अडाट अडाटौ - III. iv. 94 (लेट् लकार को पर्याय से) अट्, आट् आगम होते है । अव्यवाये - VIII. III. 63 (सित शब्द से पहले पहले ) अट् का व्यवधान होने पर (तथा अपि ग्रहण से अट् का व्यवधान न होने पर भी सकार को मूर्धन्य आदेश होता है )। अव्यवाये VIIIIII. 71 (परि, नि तथा वि उपसर्ग से उत्तर सिवादि धातुओं के सकार को ) अट् के व्यवधान होने पर (भी विकल्प से मूर्धन्य आदेश होता है)। अड्व्यवाये . VIII. iii. 119 - (निवि तथा अभि उपसर्गों से उत्तर सकार को ) अद् का व्यवधान होने पर (वेद-विषय में विकल्प करके मूर्धन्य आदेश नहीं होता) । 370-I. i. 50 = (ॠवर्ण के स्थान में) अण् अ, इ, उ में से कोई अक्षर (होते ही रपर हो जाता है ) । - अण् .... I. i. 68 देखें - अणुदित् 1. 1. 68 अण्... - II. iv. 58 देखें अणिओ II. iv. 58 अणू - III. II. 1 (कर्म उपपद रहते धातुमात्र से) अण् प्रत्यय होता है। अण् - III. iii. 12 से (क्रियार्थ क्रिया और कर्म उपपद रहते हुए धातु भविष्यत्काल में ) अण् प्रत्यय होता है । - अणू... - IV. 1. 15 देखें टिड्डाणज्यसज्० IV. 1. 15 अण्... - IV. 1. 78 देखें- अणिजो IV. 1. 78 - अण् - IV. 1. 83 (तेन दीव्यति' IV. iv. 2 से पहले पहले ) अणु प्रत्यय का अधिकार है। अण् - IV. 1. 112 (शिवादि प्रातिपदिकों से 'तस्यापत्यम्' अर्थ में) अण् प्रत्यय होता है। 310-IV. i. 168. (क्षत्रियाभिधायी जनपदवाची दो अच् वाले शब्दों से तथा मगध, कलिंग और सूरमस प्रातिपदिकों से अपत्य . अर्थ में) अण् प्रत्यय होता है। 15 अण् 370-IV. ii. 37 (षष्ठीसमर्थ भिक्षादि प्रातिपदिकों से समूह अर्थ में) अण् प्रत्यय होता है। 37-IV. ii. 76 · (सुवास्तु आदि प्रातिपदिकों से चातुरर्थिक IV. ii. 70 पर निर्दिष्ट) अण् प्रत्यय होता है । 370-IV. ii. 99 (रङकु शब्द से मनुष्य अभिधेय न हो तो) अण् (और फक्) प्रत्यय (होते है)। अण् - IV. II. 109 (प्रस्थ शब्द उत्तरपद वाले शब्दों से पलद्यादि गण के शब्दों से तथा ककार उपधावाले शब्दों से शैषिक) अण प्रत्यय होता है । अण् - IV. ii. 131 (देशवाची ककार उपधावाले प्रातिपदिक से शैषिक) अण प्रत्यय होता है। अणू – IV. iii. 16. (सन्धिवेलादिगणपठित शब्दों से तथा ऋतुवाची एवं नक्षत्रवाची शब्दों से) अण् प्रत्यय होता है। अणु - IV. iii. 22. (हेमन्त प्रातिपदिक से वैदिक तथा लौकिक प्रयोग में) अण् (तथा ठञ्) प्रत्यय (होते हैं, तथा उस अण् के परे रहने पर हेमन्त शब्द के नकार का लोप भी होता है) । 310-IV. iii. 57 (सप्तमीसमर्थ ग्रीवा प्रातिपदिक से भव अर्थ में) अण् और ठञ् ) प्रत्यय होते हैं । अण् - IV. iii. 73 (षष्ठ्यर्थ और सप्तम्यर्थ व्याख्यातव्यनाम जो ऋगयनादि प्रातिपदिक, उनसे भव और व्याख्यान अर्थों में) अण् प्रत्यय होता है । अण् – IV. iii. 76 (पञ्चमीसमर्थ शुण्डिकादि प्रातिपदिकों से 'आया हुआ' अर्थ में) अण प्रत्यय होता है। अणू... IV. ill. 93 देखें- अणजी IV. III. 93 अण् - IV. iii. 108 (तृतीयासमर्थ कलापिन् प्रातिपदिक से छन्दविषय में प्रोक्त अर्थ को कहना हो तो) अण् प्रत्यय होता है । अण् - IV. iii. 126 (संघ, अंक तथा लक्षण अभिधेय हो तो गोत्रप्रत्ययान्त अजन्त, यजन्त तथा इञन्त षष्ठीसमर्थ प्रातिपदिकों से 'इदम्' अर्थ में) अण् प्रत्यय होता है।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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