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________________ तैतिलकबूः 308 होता है)। तैतिलकः - VI. ii. 42 त्यकन् - V.ii. 34 "तैतिलकद्रू' इस समास किये हुये शब्द के (पूर्वपद को (उप और अधि उपसर्ग प्रातिपदिकों से यथासङ्ख्य प्रकृति स्वर होता है)। यदि वे 'आसन्न' और 'आरूढ' अर्थों में वर्तमान हों तो तेतिलकद्रू = देवता कश्यप की पत्नी,नागों की माता। सज्ञाविषय में) त्यकन् प्रत्यय होता है। ...तो: - VIII. iv. 39 ...त्यज... -III. ii. 142 . देखें-स्तो: VIII. iv. 39 देखें - सम्पृचानुरुष IH. ii. 142 तो: - VIII. iv. 42 त्यदादिषु - III. ii. 60 तवर्ग को (षकार परे रहते ष्टुत्व नहीं होता)। त्यदादि शब्द उपपद रहते (अनालोचन =देखना से तो:- VIII. iv. 59 भिन्न अर्थ में वर्तमान दृश् धातु से कञ् और क्विन् प्रत्यय तवर्ग के स्थान में (लकार परे रहते परसवर्ण आदेश होते है)। त्यदादीनाम् -VII. ii. 102 तोपधात् - IV. 1. 39 त्यदादि अङ्गों को विभक्ति परे रहते अकारादेश होता । (वर्णवाची अदन्त अनुपसर्जन अनुदात्तान्त) तकार उपधावाले प्रातिपदिकों से विकल्प से स्त्रीलिङ्ग में डीप त्यदादीनि -1.1.73 प्रत्यय तथा तकार को नकारादेश हो जाता है)। त्यदादिगणपठित शब्द (की भी वृद्धसंज्ञा होती है)। : ...तोसुन्... - I. 1. 39 त्यदादीनि -I. ii. 72 देखें- कत्वातोसुन्कसुनः I. 1. 39 त्यदादि शब्दरूप (सबके साथ नित्य ही शेष रह जाते तोसुन्... III. iv. 13 हैं, अन्य हट जाते हैं)। देखें-तोसुन्कसुनौ III. iv. 13 त्यप् - IV. ii. 103 तोसुन् - III. iv. 16 (अव्यय प्रातिपदिकों से शैषिक) त्यप् प्रत्यय होता है। क्रिया के लक्षण में वर्तमान स्था. इण.का.वदि.चरि. हु,तमि तथा जनि धातुओं से वेदविषय में तुमर्थ में) तोसुन् देखें - त्यागराग० VI. 1.210 प्रत्यय होता है। - त्यागरागहासकुहश्वठक्रयानाम् - VI. 1. 21 तोसुन्कसुनौ-III. iv. 13 त्याग,राग,हास,कुह,श्वठ,क्रथ-इन शब्दों के (आदि (ईश्वर शब्द उपपद रहते तुमर्थ में वेद-विषय में धातु को विकल्प से उदात्त होता है)। से) तोसुन, कसुन् प्रत्यय होते हैं। ...त्यात् -VI.i. 108 तौ - III. ii. 126 देखें-ख्यत्यात् VI. 1. 108 . वे - शतृ तथा शानच् प्रत्यय (सत् - संज्ञक होते हैं)। त्र... - II. iv. 33 तौल्वलिभ्यः - II. iv.61 देखें - तसोः II. iv. 33 (गोत्रवाची) तौल्वलि आदि शब्दों से (विहित जो। ___... - II. iv. 33 युवापत्य में प्रत्यय, उसका लुक नहीं होता)। त्यक्-IV. 1.97 देखें - तसौ II. iv. 33 (दक्षिणा, पश्चात् तथा पुरस् प्रातिपदिकों से शैषिको ...... - VI. ii. 50 त्यक् प्रत्यय होता है। देखें - इनिाकट्य IV. 1. 50
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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